अल्मोड़ा मजखाली हाईवे पर कठपुडिया से सटा सौकियाथल का जंगल धधक उठा। आग पास ही रुके कुछ युवाओं के जलती सिगरेट सड़क किनारे सूखे पिरूल पर फेंक देने से भड़की। तेज हवा से लपटें इस कदर भड़की कि प्राकृतिक पुनरोत्पादन से उगे काफल व अन्य चैड़ी पत्ती प्रजाति के पौधे पूरी तरह जल गए। हालांकि विभाग तथा वन पंचायत के ग्रामीणों के त्वरित कदम उठाने से आग पर समय रहते काबू पा लिया गया।
अबकी पर्याप्त बारिश न होने, और अब लगातार धूप से जंगलों के लिए जोखिम बढ़ गया है। वहीं लोगों की संवेदनहीनता भी खतरा बन गई है। शनिवार को अल्मोड़ा मजखाली हाईवे पर कठपुडिया के पास सौकियाथल का जंगल लपटों से घिर गया। वन क्षेत्राधिकारी संचिता वर्मा तक सूचना पहुंचने पर विभाग व वन पंचायत हरकत में आई। इस बीच लीसे के लिए चीड़ के जिन पेड़ों पर कट लगाया गया था, तेज हवा से लपटों ने उन्हें तेजी से चपेट में लेना शुरू कर दिया। वन रक्षक धीरेंद्र सजवाण के साथ वन पंचायत कुरचैना के हरीश कांडपाल, डाक कर्मी मोहित जोशी आदि ने जंगलात को और जलने से बचा लिया।
ग्रामीणों ने दी एकजुटता बनी मिसाल
सौकियाथल का जंगल बुझाने में जनसहभागिता काम कर गई। फील्ड कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे विभाग ने अबकी ग्रामीणों को साथ लेकर वनाग्नि से निपटने की कार्ययोजना तो बनाई है। मगर ग्रामीणों को साथ लेकर चलने की चुनौती बनी हुई है। अलबत्ता जिस तेजी से सौकियाथल के जंगल में धधकी आग पर वन पंचायत के ग्रामीणों की मदद से काबू पाया गया, वह अन्य गांवों के लिए सबक है।