सुगबुगाहट : कहीं सेंगर प्रकरण भी मीडिया ट्रायल का हिस्सा तो नहीं | Nation One

उन्नाव : माखी दुष्कर्म प्रकरण में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर भले ही उम्रकैद की सजा काट रहे हैं पर, उनके परिजन व समर्थक इस फैसले से संतुष्ट नहीं दिखाई देते हैं और इसे विरोधियों की झूठे मुकदमे में फंसाने की चाल बता रहे हैं।

हालांकि, वे खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं पर, जुबां पर उनकी यही बातें रहती हैं। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई के बाद से तो यह सुगबुगाहट होने लगी है कि, कहीं कुलदीप सेंगर का मामला भी मीडिया ट्रायल का हिस्सा तो नहीं?

आपको बता दें, सोमवार को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े केस की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने मीडिया हाउसेज को नसीहत दी कि आत्महत्या के मामलों की रिपोर्टिंग के दौरान संयम बरतें। कोर्ट ने दो चैनलों की रिपोर्टिंग को मानहानिकारक बताते हुए कहा, ”मीडिया ट्रायल से न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप और बाधा उत्पन्न होती है।”

चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी ने कहा कि सुशांत सिंह राजबूत की मौत के बाद दोनों चैनलों की कुछ रिपोर्टिंग मानहानिकारक थी। हालांकि, बेंच ने कहा कि इसने फिर भी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला नहीं किया है।

इस सुनवाई के बाद सेंगर समर्थकों का मानना है कि, माखी प्रकरण की रिपोर्टिंग एकतरफा थी और उसे बढ़ाचढ़ा कर पेश किया गया। जबकि, ये बातें भी सामने आई हैं कि, दुष्कर्म पीड़िता के चाचा महेश सिंह पर भी कम आरोप नहीं हैं। कई मामलों में महेश ने कोर्ट को गुमराह किया है।

वहीं यह भी आरोप है कि, 2000 में प्रधानी के चुनाव में प्रत्याशी रहीं देवेंद्र सिंह की माता राजेश्वरी देवी के लिए बूथ कैप्चरिंग करने से रोकने के दौरान महेश ने सेंगर के छोटे भाई अतुल सिंह पर जानलेवा हमला किया था, तभी से दोनों परिवार के सम्बंध खराब हो गए थे। इस चुनाव में दूसरी ओर से कुलदीप की माता चुन्नी देवी प्रत्याशी थीं।

यही नहीं, महेश और उसके ड्राइवर पर सीबीआई के गवाह को भी धमकाने का आरोप है। इस मामले में गवाह ने एसपी को शिकायती पत्र भी दिया था, जिसकी जांच एसपी ने सीओ सफीपुर को दी है।