
अजीबोगरीब: खुशी कहे या मजबूरी…लेकिन भारत के इस जगह में दो शादियां तो करनी ही पड़ेगी
भारत में अलग- अलग तरह की परंपराएं है। जो समय समय पर सुनी और देखी जा सकती है। लेकिन वहीं कुछ परंपराएं ऐसी भी है जिनपर विश्वास करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। लेकिन कही न कही ये परंपराएं सत्य भी है।
करनी ही पड़ेगी दो शादियां…
ऐसी ही एक परंपरा या अंधविश्वास जो भी कहे राजस्थान के देरासर गांव से जुड़ीं है जहां पर दो शादियों का चलन है। वो भी बिना तलाक दिए ही दूसरी शादी करनी होती है और एक ही छत्त के नीचे सबको रहना होता है। क्यों है न अलग परंपरा। तो आज हम आपको बताने जा रहे है कि आखिर क्यों एक बीवी के होते हुए भी इस गाँव का हर आदमी को दूसरी शादी करनी ही पड़ती है। हांलाकि कानून में एक ही समय पर दो शादियाँ करना स्वीकार नहीं है।
दूसरी शादी करते ही होती है संतान की प्राप्ति…
भारत-पाक सीमा के निकट बारमेड़ जिले का छोटा सा गांव देरासर की है। इस गांव में लगभग 600 से अधिक की जनसंख्या है। देरासर ग्राम के इस इलाके में एक युवक दो शादियां करता है। सभी के साथ एक ही चीज है कि पहली पत्नी से संतान सुख नहीं मिलता है और दूसरी शादी करते ही संतान होने लगती है। कुछ पुरुष तो संतान की चाह में 50 की उम्र पार कर गए लेकिन पहली पत्नी से बच्चे नहीं हुआ, लेकिन इसके बाद जब दूसरी शादी की तो किसी को चार बेटे तो किसी को 5 बेटियों का सुख मिला।
कुछ अंधविश्वासी लोगों ने दिया परम्परा का नाम…
डेरासर में करीब 70 मुस्लिम परिवार रहते हैं। इस्लाम में एक से अधिक शादियों की अनुमति है। लेकिन इस गांव में दो बार शादी, धर्म नहीं बल्कि लोगों की पारंपरिक सोच के कारण होती है। कई वर्षों तक यहां ऐसा ही हुआ है और इसे देखा गया है, कि दूसरी शादी होते ही संतान की प्राप्ति हो जाती थी। गांव में इक्का-दुक्का परिवार को छोड़कर सभी पुरुषों की दो पत्नियां हैं। डेरासर में निभाई जाने वाली इस पंरपरा को कुछ अंधविश्वासी लोगों ने इसे परम्परा का नाम दे दिया । इस परम्परा के चलते अब लोगों को मजबूरन ही दो शादियाँ करनी पड़ती हैं।