स्मार्टफोन और कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली अल्ट्रावायलट रे त्वचा के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इसलिए कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करते समय भी हमें सनक्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए। एक विशेषज्ञ के अनुसार कंप्यूटर और स्मार्टफोन का असर हमारी त्वचा पर धूप जितना ही हानिकारक हो सकता है। विशेषज्ञ पहले भी सूरज से निकलने वाली खतरनाक अल्ट्रावायलट किरणों को त्वचा के लिए नुकसानदेह बताते रहे हैं। अध्ययन के अनुसार चार दिन तक कंप्यूटर पर काम करते समय जितनी मात्रा में अल्ट्रावायलट किरणों का सामना हम करते हैं, वह 20 मिनट धूप में रहने के बराबर है।
इससे बचने के लिए एक तत्व ल्यूटिन युक्त सनक्रीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा यह कुछ फलों व सब्जियों में भी पाया जाता है। ल्यूटिन सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलट किरणों से हमारी रक्षा करता है। प्राकृतिक रूप से ल्यूटिन प्राप्त करने के लिए अनार, तरबूज या एक खास तरह के गुलाबी चकोतरा का सेवन किया जा सकता है। इनमें एंटी ऑक्सिडेंट के अलावा जलनरोधी तत्व भी होते हैं, जो सूरज की रोशनी से होने वाली क्षति से त्वचा का बचाव करते हैं।
बेहद खतरनाक नीली रोशनी
स्मार्टफोन या कंप्यूटर की क्रीन से निकलने वाली अल्ट्रावायलट किरणों के प्रभाव से त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार हॉर्मोन मेलाटोनिन का उत्पादन प्रभावित होता है। यह किरणें त्वचा की परतों के भीतर पहुंचकर कोलाजेन, हियालुरोनिक एसिड और एलास्टिन को क्षति पहुंचाती हैं। इससे बचने के लिए कंप्यूटर और फोन की क्रीन की लाइट कम की जा सकती है या इनके ऊपर फिल्टर लगाया जा सकता है।