ढाई सौ करोड़ का होटल सात करोड़ में बचेने पर फंसे शौरी, चलेगा केस | Nation One
नई दिल्लीः लक्ष्मी विलास होटल को बाजार मूल्य से बहुत कम दाम में बेचने के मामले में राजस्थान में जोधपुर की सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि जिस होटल की कीमत ढाई सौ करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी, उन्हें सिर्फ सात करोड़ रुपये के औने-पौने दाम लेकर बेच दिया गया। आपको बता दें, अरुण शौरी वाजपेयी सरकार में विनिवेश मंत्री थे जिनके रहते मंत्रालय ने कई बड़ी सरकारी कंपनियों के सौदे को मंजूरी दी थी. अब वो इन्हीं सौदों में एक को लेकर निशाने पर आ गए हैं.
दरअसल, अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल की बड़ी उपलब्धियों में एक सरकारी कंपनियों के विनिवेश को लेकर कड़े और बड़े फैसले लेने को भी गिना जाता है. वाजपेयी सरकार ने सरकारी कंपनियों को निजी हांथों में सौंपने के मकसद से 10 दिसंबर, 1999 को अलग विनिवेश विभाग का ही गठन कर दिया था. फिर 6 सितंबर, 2001 को विनिवेश मंत्रालय बना दिया गया जिसकी कमान अरुण शौरी के हाथों सौंप दी गई.
शौरी को प्रधानमंत्री वाजपेयी का भरपूर समर्थन प्राप्त था, इस कारण उन्होंने विनिवेश की राह पर तेज रफ्तार लगाई और कई बड़ी कंपनियों का सौदा कर डाला. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 14 मई, 2002 को मारुति उद्योग लि. के विनिवेश को भी मंजूरी दे दी गई.
दो चरणों में विनिवेश के बाद 2006 में भारत सरकार का मारुति उद्योग में स्वामित्व पूरी तरह खत्म हो गया, तब बीपीसीएल और एचपीसीएल के विनिवेश की भी बात चली लेकिन, तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री के भारी विरोध के बाद ये दोनों कंपनियां सरकार के पास ही रह गईं.