Sedition Law: राजद्रोह कानून हमेशा से विवादों मे रहा है। लेकिन इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला ले लिया है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजद्रोह कानून यानी Sedition Law के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। जिसका मतलब अब पुनर्विचार तक 124ए के तहत कोई मामला दर्ज नही किया जाएगा।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए कि जो लंबित मामले हैं उनपर नजर रखी जाए और जिनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मुकदमे चल रहे हैं और वह जेल में बंद हैं वो जमानत के लिए अदालतों में अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
जानकारी के अनुसार अब इस मामले की सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी। दरअसल 152 साल में पहली बार राजद्रोह कानून के प्रावधान पर कोर्ट नें पाबंदी लगाई गई है।
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वहीं केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा इसके दुरुपयोग की शिकायतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
बता दें कि इस फैसले के बाद विपक्ष ने फिर केंद्र सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया। जिसके साथ ही सरकार की तरफ से भी जवाब दिया गया।
Sedition Law को लेकर क्या-क्या कहा गया
बता दें कि राजद्रोह कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं। जिसपर कोर्ट ने लगातार सुनवाई की थी।
इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया और कहा गया कि राजद्रोह कानून में बदलाव की जरूरत नहीं है। जिसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों को अपना बयान रखने का वक्त दिया।
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वहीं मामले पर सुनवाई से ठीक पहले केंद्र सरकार की तरफ से दूसरा हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया कि वो राजद्रोह कानून पर दुबारा विचार और जांच करने के लिए तैयार है।
जिसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त ऐक्शन लेते हुए कहा कि राजद्रोह कानून में बदलाव जरूरी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजद्रोह के आरोप से संबंधित सभी लंबित मामले, अपील और कार्यवाही को स्थगित रखा जाना चाहिए। आरोपियों को दी गई राहत जारी रहेगी।
जिसके बाद लंबित मामलों के संबंध में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को एक सुझाव दिया कि जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शीघ्रता से की जा सकती है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि जब तक कानून के उक्त प्रावधान पर फिर से विचार नहीं किया जाता है, तब तक केंद्र और राज्य नई प्राथमिकियां दर्ज करने, भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत कोई जांच करने या कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से बचेंगे.’’
बताया जा रहा है कि विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की जमकर तारीफ की। लेकिन इसके साथ –साथ केंद्र सरकार पर निशाना भी साधा।
Sedition Law को लेकर कांग्रेस ने साधा विपक्ष पर निशाना
कांग्रेस ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने यह संदेश दिया है कि सत्ता को आईना दिखाना राजद्रोह नहीं हो सकता।
साथ ही कहा ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह भी साबित हो गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजद्रोह कानून को खत्म करने का जो वादा किया था वह सही रास्ता था।
जानकारी के लिए बता दें कि मामले को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया। उन्होने लिखा कि, ‘‘सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं. सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं. सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है. डरिए मत!’’
वहीं वाम दलों ने भी फैसले को लेकर खुशी जताई। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि ‘‘माकपा ने हमेशा राजद्रोह कानून का विरोध किया है और इसे अंग्रेजों द्वारा हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के दमन के लिए लाया गया दोषपूर्ण कानून कहा है।
स्वतंत्र भारत में कानून की किताबों में इसकी कोई जगह नहीं है। अच्छी बात है कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस प्रावधान पर रोक रहेगी।
केंद्र सरकार ने दिया कांग्रेस को जवाब
केंद्र सरकार की तरफ से भी मामले पर जवाब आया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कार्यपालिका और न्यायपालिका समेत तमाम संस्थानों के लिए ‘लक्ष्मण रेखा’ की बात कही और कहा कि किसी को इसे पार नहीं करना चाहिए।
आगे कहा कि, ‘‘हम एक दूसरे का सम्मान करते हैं। अदालत को सरकार, विधायिका का सम्मान करना चाहिए। इसी तरह सरकार को भी अदालत का सम्मान करना चाहिए।
जिसके बाद केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने राहुल गांधी के ट्वीट का भी गजब जवाब दिया।
उन्होंने कहा, ”अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह कांग्रेस है। यह पार्टी हमेशा भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है और भारत को विभाजित करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। यूपीए सरकार का देशद्रोह के मामले दर्ज करने का सबसे खराब ट्रैक रिकॉर्ड रहा है.”
बता दें कि सुप्राम कोर्ट मे यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि कानून का दुरुपयोग हो रहा है। साथ ही देश की सुरक्षा का भी ध्यान रखना है।