आग की लपटों में घिरी छात्राओं ने भाग कर बचाई जान

उत्तराखंड के जंगलों में भड़की आग ने और विकराल रूप धर लिया है। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 24 घंटे के दौरान आग की घटनाओं में 275 का इजाफा हुआ है। जंगल की आग के गांवों के नजदीक तक पहुंचने से ग्रामीणों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। उत्तरकाशी में आग की लपटों में घिरी छात्राओं ने भाग कर जान बचाई। यही नहीं, चकराता में सेना के कैंप के पास पहुंची आग पर काबू पाने को सेना के जवानों ने मोर्चा संभाला। वहीं, मुख्यमंत्री के सख्त रुख के बाद वन महकमे ने आग बुझाने को संसाधन झोंक दिए हैं। वनकर्मियों समेत 5435 लोगों का अमला आग बुझाने में जुटा है।

आग बुझाते वक्त एक महिला घायल

प्रदेशभर में धधक रहे जंगलों की आग अब गांव-घरों की देहरी तक पहुंचने लगी है। बुधवार को उत्तरकाशी जिले में स्कूल से लौट रही छह छात्राएं वनाग्नि की चपेट में आकर झुलस गईं। शुक्र ये कि सभी की हालत खतरे से बाहर है। इसी जिले में आग बुझाते वक्त एक महिला भी गिरकर घायल हो गई। वहीं, चकराता में सेना के कैंप के नजदीक तक आग पहुंचने पर सेना ने न सिर्फ इस पर काबू पाया, बल्कि आसपास निगरानी भी बढ़ा दी है। वहीं, प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी पहाड़ से लेकर मैदान जंगल बुधवार को भी दिनभर सुलगते रहे।

आग की भयावहता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 15 फरवरी से शुरू हुए इस फायर सीजन के दौरान मंगलवार तक प्रदेश में वनाग्नि की 761 घटनाएं हुई थीं। बुधवार शाम तक यह आंकड़ा 1036 पहुंच गया। आग से 2038 वन क्षेत्र प्रभावित हो चुका है और 37.84 लाख की क्षति आंकी गई है।

आग पर काबू पाने के लिए विभाग ने मानव संसाधन झोंक दिया है। बुधवार को 3899 वनकर्मी, 1528 स्थानीय लोग, पुलिस व एनडीआरएफ के 16 जवान आग बुझाने में जुटे रहे। नोडल अधिकारी वनाग्नि बीपी गुप्ता के अनुसार 318 वाहन और नौ पानी टैंकर भी इस कार्य में प्रयुक्त किए जा रहे हैं। ग्रामीणों की भी तमाम स्थानों पर मदद ली जा रही है।

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