सत्ता में बैठी भाजपाइयों के लिये नियम कानून का कोई मतलब नहीं, पढ़ें पूरी खबर | Nation One

आम जन के लिये भले ही कानून के मायने हों, लेकिन सत्ता में बैठी भाजपाइयों के लिये नियम कानून का कोई मतलब नहीं है। ऐसा ही एक मामला सुल्तानपुर में देखने को मिला। जहाँ मंदिर परिसर में बनी दुकानों और कमरों को जर्जर बता कर ट्रस्टियों द्वारा तोड़ा जा रहा है।

आशंका व्यक्त की जा रही है कि वर्षों से जमे दर्जनों किराएदारों को हटाकर वहां बिना स्वीकृत नक़्शे के ही नया निर्माण करवाया जायेगा। फ़िलहाल दशकों से काबिज दुकानदारों और वहां रहने वाले ट्रस्टियों के इस निर्णय से बेहद खफा हैं।दिलचस्प बात तो ये है कि इस ट्रस्ट में भाजपा नेता ओम प्रकाश पांडेय और घर के कई सदस्य इसमें पदाधिकारी हैं और उन्ही के निर्देशन में दुकानों को तोड़े जाने का खेल किया जा रहा है।

दरअसल ये मामला है नगर कोतवाली के तिकोनिया पार्क के पास का। यही पर श्री तुलसी सत्संग भवन समिति ट्रस्ट का एक पुराना मंदिर है। मंदिर के आस पास की जमीनों पर रहने के लिये कई कमरों और दुकानों का निर्माण दशकों पहले हुआ था जिसमें पिछले कई वर्षों से लोग रह रहे हैं।

आरोप है कि ट्रस्ट के लोग सत्ता के बेहद करीबी हैं और नियमो को ताक पर रखकर जबरन दर्जनों किराएदारों को खाली करवाया जा रहा है। जो नही खाली कर रहा है उसे धमकाया भी जा रहा है। दिलचस्प तो ये है प्रशासन भी इस मामले में ढुलमुल रवैया अपना रहा है। इसी से नाराज लोगों ने मंगलवार को प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।

बताते चलें कि तुलसी सत्संग भवन ट्रस्ट में कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश पांडेय की गिनती बड़े भाजपाइयों में की जाती है। इनके घर के कई सदस्य इस ट्रस्ट में शामिल हैं। लिहाजा लोगों का आरोप है कि उन्ही के निर्देशन में पुराने किराएदारों को हटाकर नया निर्माण का खेल किया जा रहा है।

फ़िलहाल इनके पुत्र आशीष पांडेय की माने तो मंदिर परिसर में बनी दुकानों और कमरे बेहद जर्जर हो चुके हैं। इसके लिये दुकान और कमरे में रहने वालों को पिछले 6 सालों से खाली करने के लिये नोटिस भी दी रही है। इन सबके बावजूद अभी तक कोई दुकान और कमरे खाली करने को राजी नहीं। ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो सीधा सीधा ट्रस्ट पर ही आरोप लगेगा।

वहीँ मंगलवार को हंगामे की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के लोग मौके पर पहुंचे और किसी तरह लोगों को समझा बुझा कर शांत करवाया। एसडीएम सदर की माने तो इस मामले में न ही ट्रस्ट के लोग कोई कागजात दिखाने को तैयार हैं और न ही वहां रहने वाले। उनका ये भी कहना है कि इसके डिमोलिश करने का भी अभी तक कोई आर्डर नही दिया गया। फिलहाल दोनों पक्षों के कागजात देखने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचने की बात उनके द्वारा कही जा रही है।