दिल्ली के इसी थाने में कॉन्स्टेबल थे राकेश टिकैत, पहुंचे तो बढ़ गयी सियासी हलचल | Nation One
नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का 11 महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन चल रहा है। केंद्र और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत होने के बाद भी कोई पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं हुए है। इसलिए दोनों के बीच अभी भी गतिरोध जारी है।
बताया जा रहा है कि किसान नेता राकेश टिकैत अचानक दिल्ली के आरके पुरम थाने में पहुंच गए जहां 1985 में दिल्ली पुलिस की नौकरी करते थे। ये नौकरी किसानों के लिए उन्होंने छोड़ दी थी।
टिकैत का थाने में पहुंचने के बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मियों में हलचल बढ़ गई है। टिकैत को देखते ही बाते शुरू हो गई कि किसान नेता यहां क्यों आए है।
इस बात की जानकारी तुरंत थाने के डीसीपी को दी गई है। फिर राकेश टिकैट ने पुलिस अधिकारियों के साथ बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाया तो उन्हे राहत मिली।
बता दें कि साउथ दिल्ली के इसी थाने में राकेश टिकैत कांस्टेबल के तौर पर पांच साल काम किया था। राकेश टिकैत ने कहा कि अब 25 साल बाद फिर से यहां आकर खुशी हुई।
दरअसल, देशभर में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन जारी है। इसे देखते हुए दिल्ली में एक छोटे से थाने में राकेश टिकैत का जाना बड़ी बात थी।
ऐसे में उनके जाने से वहां हलचल होना लाजमी थी। थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों ने सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी गई की कहीं कोई बवाल मचाने राकेश टिकैत ना पहुंचे हों।
इस बीच, बड़े अधिकारी भी वहां पहुंचे और राकेश टिकैत से बातचीत करनी शुरू कर दी। जिसके बाद टिकैत ने बताया कि 25 साल पहले वो इसी थाने में बतौर कांस्टेबल काम करते थे।
टिकैत ने कहा कि पुलिसवालों को इतना ही सुनना था कि वहां पर मौजूद सभी पुलिसवालों ने बड़े अच्छे तरीके से उनका सत्कार भी दिया।
उन्होंने आगे बताया कि वह बेशक किसान नेता बन गए हो लेकिन उन्हें यह बिल्डिंग अभी याद थी जहां पर उन्होंने तकरीबन 5 साल तक काम किया था।
उस समय कहीं भी बम की सूचना मिलने पर उन्हें जाना पड़ता था और एक ऐसा ही वाकया तब दिल्ली के ग्रामीण इलाके नजफगढ़ में भी हुआ था। आरके पुरम जाने की वजह भी रास्ते से गुजरती ही बन गई।
आपको बता दें कि राकेश टिकैत की भर्ती दिल्ली पुलिस के बम स्क्वायड में साल 1991 में हुई थी और उनकी पोस्टिंग आरके पुरम थाने में हुई। जहां लगभग 5 साल तक यानी सन 91 से लेकर 96 तक वह बतौर कॉन्सटबल काम करते रहे।