
Qutub Minar Row : ‘कुतुब मीनार एक स्मारक, यहां किसी भी धर्म को पूजा-पाठ की इजाजत नहीं’, ASI का हलफनामा | Nation One
Qutub Minar Row : दिल्ली में कुतुब मीनार को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने साफ कर दिया है कि इस संरक्षित स्मारक की संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता।
मंगलवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार मामले पर एएसआई ने अपना जवाब दाखिल किया और उस याचिका का विरोध किया, जिसमें कुतुब मीनार की जगह पर मंदिर को पुनर्जीवित करने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में महाकाल मानव सेवा और दूसरे दक्षिणपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने कुतुब मीनार पर भारी पुलिस बल के बीच विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की थी। इनकी मांग थी, कि कुतुब मीनार का नाम बदलकर ‘विष्णु स्तंभ’ रखा जाए।
साकेत कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में एएसआई ने कहा, ‘कुतुब मीनार 1914 से एक संरक्षित स्मारक रहा है और इसकी संरचना में अब बदलाव नहीं किया जा सकता। जिस समय कुतुब मीनार को ‘संरक्षित स्मारक’ का दर्जा दिया गया, उस समय किसी भी तरह की पूजा करने की प्रथा यहां नहीं थी, इसलिए इस स्मारक के अंदर पूजा-स्थल के पुनरुद्धार की अनुमति नहीं दी जा सकती।’
Qutub Minar Row : ‘कुतुब मीनार में किसी को पूजा करने की इजाजत नहीं’
एएसआई ने कहा, ‘हिंदू याचिकाकर्ताओं की याचिका कानूनी रूप से स्वीकार करने योग्य नहीं है। कुतुबमीनार के निर्माण के लिए पुराने मंदिरों को तोड़ने का दावा ऐतिहासिक तथ्यों का मामला है।
कुतुब मीनार परिसर एक जीवित स्मारक है, जिसे 1914 से संरक्षित किया गया है। कुतुब मीनार परिसर में किसी को भी पूजा करने का अधिकार नहीं है और ना ही हम इसकी इजाजत दे सकते हैं।’
आपको बता दें कि एएसआई के ही पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा ने भी दावा किया है कि कुतुब मीनार का निर्माण कुतुब अल-दीन ऐबक ने नहीं, बल्कि सूर्य की दिशा का अध्ययन करने के लिए राजा विक्रमादित्य ने किया था।
Also Read : Business News : इन स्मार्टफोन में जल्द बंद होने वाला है WhatsApp, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान | Nation One