Punjab Election : सिद्धू की जगह चन्नी को क्यों चुना गया सीएम फेस | Nation One
पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपना सीएम उम्मीदवार घोषित किया है।
पंजाब की सबसे बड़ी आबादी दलित समुदाय से आने के कारण चरणजीत सिंह चन्नी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर भारी पड़े।
आइये समझते हैं कि आखिर चन्नी के चेहरे पर मुहर लगाने की ठोस वजह क्या है और साथ ही पंजाब की पूरी दलित पॉलिटिक्स के बारे में भी जिसकी वजह से चन्नी सीएम पद की रेस में सबसे आगे निकल गए।
2011 के जनगणना के आंकड़ों के अनुसार पंजाब की 2.77 करोड़ आबादी में से करीब 31.9% आबादी दलित समुदाय की है। हालांकि दलित समुदाय का एक बड़ा हिस्सा हिंदू दलित का भी है।
पंजाब में करीब 53.19 लाख दलित सिख हैं और 34.42 लाख दलित हिंदू हैं। दलित सिख समुदाय और दलित हिंदू समुदाय भी अलग अलग पंथों में बंटा हुआ है।
दलित सिख समुदाय में मूलतः चार पंथ हैं जिन्हें मजहबी, वाल्मीकि, अदधर्मी और रामदासिया सिख के नाम से जाना जाता है। राज्य में करीब 25.62 लाख मजहबी सिख हैं।
इसके बाद दलित सिखों में रामदासिया समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा है। राज्य में करीब 14.43 लाख रामदासिया सिख हैं. इसके अलावा 2.07 लाख वाल्मीकि और 0.86 लाख अदधर्मी सिख हैं। वहीं राज्य में करीब 27,390 दलित बौद्ध भी हैं।
पंजाब के दलित समुदाय के भीतर भी कई तरह के अंतर्विरोध रहे हैं चाहे वह सामजिक और राजनीतिक स्तर पर क्यों न हो। लेकिन ये समुदाय कई मोर्चों पर इकट्ठा रहा है।
परंपरागत रूप से चमड़े के काम में शामिल रामदासिया और अदधर्मी समुदाय का झुकाव चरणजीत सिंह चन्नी के प्रति स्पष्ट है।
हालांकि सबसे बड़ा दलित समुदाय महजबी सिख का झुकाव कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल दोनों के प्रति है। वहीं वाल्मीकि समुदाय जो मुख्य तौर पर शहरों में रहता है वह आमतौर पर कांग्रेस का ही समर्थन करता है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार लुधियाना रैली में मौजूद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने यहां तक कहा कि अगर सिद्धू के नाम की घोषणा होती तो यह राजनीतिक आत्महत्या होती।
इसका प्रमुख कारण यह था कि सिद्धू ने पार्टी के भीतर ही अपने समर्थकों को खो दिया क्योंकि शायद ही कोई ऐसा बचा हो जिसके खिलाफ उन्होंने बात न की हो। उन्होंने हमेशा ‘मैं’ पर ध्यान केंद्रित किया, न कि हम पर।
यहां तक कि कुछ महीने पहले तक सिद्धू का समर्थन करने वाले कांग्रेस विधायकों और अन्य नेताओं ने भी कहा कि जब वे लोगों से बात करते थे तो चन्नी ही कई लोगों की पसंद थे।
लुधियाना के एक विधायक ने भी कहा कि हम गांवों में एक महीने से प्रचार कर रहे हैं और जब भी हम लोगों से सीएम के नाम पर फीडबैक मांगते हैं तो वे चन्नी का ही नाम लेते हैं।
एक भी व्यक्ति ने सिद्धू का नाम नहीं लिया। जिन गांवों में मैंने प्रचार किया है वहां एक भी महिला या युवक ने यह नहीं कहा कि सिद्धू को मुख्यमंत्री बनना चाहिए।