यूपी पशुधन विभाग में डायरेक्टर ही नहीं, कैसे संचालित होंगी परियोजनाएं | Nation One
लखनऊ : सरकार ने पशुधन उत्पाद, उनके संरक्षण, रोगों से सुरक्षा तथा पशुधन में सुधार के लिए पशुधन विभाग बना तो दिया है लेकिन, यह रामभरोसे ही चल रहा है जिसके नतीजे के रूप में इस विभाग में घोटाले सामने आते रहते हैं. आजकल इस विभाग में डायरेक्टर के पद भी खाली चल रहे हैं.
डायरेक्टर के यहां दो पद हैं और दोनों खाली बताये जा रहे हैं. एक जून 2019 और दूसरा जुलाई से रिक्त है. इससे विभाग की कार्यप्रणाली का ही पता नहीं चलता बल्कि, विभाग की कार्य योजनाएं धरातल पर कितने लोगों तक पहुँच पाती हैं इसके बारे में इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है.
विभाग का काम पशुधन उत्पाद, उनके संरक्षण, रोगों से सुरक्षा तथा पशुधन में सुधार करना ही नहीं बल्कि, डेयरी विकास के साथ-साथ दिल्ली दुग्ध योजना और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड से जुड़े मामलों के प्रति भी जिम्मेवार है. यह अंतर्देशीय तथा समुद्री मत्स्यन व मात्स्यिकी से जुड़े मामलों को भी देखता है.
इसे बनाने का मकसद यही था कि एक या अधिक पशुओं के समूह को कृषि सम्बन्धी परिवेश में भोजन, रेशे तथा श्रम आदि सामग्रियां प्राप्त करने के लिए पालतू बनाया जाए. इसी को पशुधन के नाम से जाना जाता है. पशुधन आम तौर पर जीविका अथवा लाभ के लिए पाले जाते हैं.पशुओं को पालना (पशु-पालन) आधुनिक कृषि का एक महत्वपूर्ण भाग है.
आपको बता दें, इसी साल अक्टूबर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो आईपीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था. इन दोनों अफसरों का नाम पशु पालन घोटाले में आया था. दोनों डीआईजी स्तर के अधिकारियों का नाम दिनेश चंद्र दूबे और अरविंद सेन हैं. दिनेश चंद्र दुबे डीआईजी रूल मैन्युअल थे, जबकि अरविंद सेना डीआईजी पीएसी आगरा थे.
दरअसल, इंदौर के एक व्यापारी मंजीत सिंह भाटिया को चारा आपूर्ति के अनुबंध में शामिल करने के मामले में विधानसभा सचिवालय के कुछ पत्रकारों और कर्मचारियों सहित 14 लोग शामिल थे. भाटिया के साथ कथित तौर पर इन लोगों ने 9.72 करोड़ रुपये की ठगी की थी. यही नहीं लखनऊ में पशुपालन घोटाले में एक और बड़ी गिरफ्तारी की गई थी.
आरोपी संतोष मिश्रा खुद को न्यूज़ चैनल का पत्रकार बताता था. इससे पहले आरोपी आशीष राय के साथ मिलकर संतोष मिश्रा ने पशुपालन विभाग में करोड़ों के घोटाले में बड़ी भूमिका निभाई थी. इसमें एक व्यक्ति को टेंडर दिलाने के नाम पर 9 करोड़ से ऊपर की ठगी की गई थी जिसके बाद आरोपी आशीष राय मामलों को मैनेज करने के लिए आरोपी संतोष मिश्रा के साथ मिलकर साठगांठ करता था. संतोष मिश्रा खुद को पत्रकार बताकर पुलिस से मैनेज करता था और इसके बदले मोटी रकम दी जाती थी.