उत्तराखंड में सिर्फ चार जिलों में ही लागू है निर्भया फंड योजना…
आज कल देश में एक मुद्दे पर जमकर बहस चल रही है, जो महिलाओं की सुरक्षा को लेकर है। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा महिला अपराध वाले जिलों में से एक देहरादून भी है। लेकिन अभी तक यहां निर्भया फंड स्कीम को लागू नहीं किया गया है।
आपको बता दे , इसके तहत महिलाओं और युवतियों को आत्मरक्षा के गुर सीखाने, सीसीटीवी कैमरे लगवाने, महिला हॉस्टल बनवाने आदि के काम किए जाते हैं।
बताया जा रहा है कि भारत सरकार के निर्देशों पर अब दून और पौड़ी जनपद को भी इस योजना में शामिल किया जाना है।
वर्ष 2014 में उत्तराखंड ने भी इस फंड को स्थापित कर पांच जनपदों को इसमें शामिल किया था। इनमें अल्मोड़ा, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल शामिल हैं।
इस साल भी देहरादून जनपद में 30 नवंबर तक 508 मुकदमे महिला अपराध से संबंधित दर्ज किए गए हैं। जबकि, पिछले साल इनकी संख्या 577 थी। इनमें अगर अकेले छेड़छाड़ की ही बात करें तो इस साल पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी हुई है।
इस साल कुल 71 महिलाओं और युवतियों से छेड़छाड़ हुई। जबकि, पिछले साल यह संख्या 63 थी। निर्भया फंड के अंतर्गत अभी हमारा देहरादून जनपद नहीं आता है।
भारत सरकार के निर्देशों पर अब जल्द ही देहरादून और पौड़ी जनपद को भी इसमें शामिल करने की बात चल रही है। उत्तराखंड में वर्ष 2013 में अपराध पीड़ित सहायता योजना की शुरुआत हुई थी।
वर्ष 2016 से इसमें बजट का आवंटन हुआ था, जिसके तहत बीते 20 माह में कुल 37 अपराध पीड़ितों को मदद जारी की जा चुकी है। इनमें ज्यादातर मामले दुष्कर्म से संबंधित हैं।
मार्च 2018 से दिसंबर 2018 तक कुल 27 पीड़ितों को 29.50 लाख रुपये की मदद जारी की गई थी। जबकि, इस साल अब तक कुल 10 मामलों में दुष्कर्म पीड़िताओं और उनके परिवार वालों को 6.15 लाख रुपये की मदद मुहैया कराई गई है।