NEWS : स्वेच्छा से अलग रहने वाली महिला भरण-पोषण की हकदार नहीं, Court का फैसला | Nation One
NEWS : कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश विजय सिंह कावछा के न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि स्वेच्छा व परस्पर सहमति से पति से लग रहने वाली महिला भरण-पोषण राशि की हकदार नहीं है। लिहाजा, उसका आवेदन निरस्त किया जाता है। युवक की ओर से अधिवक्ता जीएस ठाकुर व अरुण कुमार भगत ने पक्ष रखा।
अधिवक्ता जीएस ठाकुर व अरुण कुमार भगत ने दलील दी कि भरण-पोषण की मांग करने वाली महिला छह जून, 2017 को निष्पादित सहमति पत्र के आधार पर अपने पति डेनियल से अलग रह रही है। साफ है कि उसने स्वेच्छा से पृथक रहने का रास्ता अपनाया है।
NEWS : पति से सहमति पत्र के आधार पर अलग
कमल सिंह विरुद्ध सुनीता के न्यायदृष्टांत के अनुसार पति से सहमति पत्र के आधार पर अलग रहने वाली महिला भरण-पोषण की राशि लेने की अधिकारी नहीं होती है। लिहाजा, प्रस्तुत आवेदन निरस्त किए जाने योग्य है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि आवेदिका से तलाक का मामला अदालत में विचाराधीन है।
आवेदिका पति पर संदेह करती आई है। इस वजह से दोनों का वैवाहिक जीवन पटरी से उतर गया। दोनों साथ रहने की हालत में नहीं थे। इसीलिए अलग रहना मंजूर किया। ऐसे मामले में भरण-पोषण की मांग बेमानी है। अदालत ने तर्क से सहमत होकर आवेदन निरस्त कर दिया।
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