News : देश के वीर सपूतों को सम्मान, उत्तराखंड सरकार ने कई स्कूलों के बदले नाम!

News : उत्तराखंड की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने प्रदेश के चार राजकीय इंटर कॉलेजों के नाम बदलने का निर्णय लिया है। यह कदम उन वीर सपूतों और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिन्होंने देश और समाज के लिए अपना बलिदान दिया।

News : बदले गए स्कूलों के नाम

1. राजकीय इंटर कॉलेज दुबचौड़ा, चंपावत

अब से यह विद्यालय शहीद लांस नायक विक्रम सिंह राजकीय इंटर कॉलेज दुबचौड़ा के नाम से जाना जाएगा।

2. राजकीय इंटर कॉलेज हटाल (चकराता), देहरादून

इसका नया नाम स्व. पंडित झांऊराम शर्मा राजकीय इंटर कॉलेज हटाल (चकराता) रखा गया है।

3. राजकीय इंटर कॉलेज सैंधर (बीरोखाल), पौड़ी गढ़वाल

अब यह विद्यालय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. शम्भू प्रसाद जोशी राजकीय इंटर कॉलेज सैंधर (बीरोखाल) के नाम से जाना जाएगा।

4. राजकीय इंटर कॉलेज थाती बूढ़ाकेदार, टिहरी गढ़वाल

इसका नाम बदलकर शहीद हवलदार बचन सिंह नेगी राजकीय इंटर कॉलेज थाती बूढ़ाकेदार कर दिया गया है।

सरकार का कहना है कि यह निर्णय राज्य की नई पीढ़ी को प्रेरित करने और उन्हें अपने इतिहास से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे पहले सरकार ने कई चौक-चौराहों और सड़कों के नाम बदलने का निर्णय लिया था, जिसका कुछ जगहों पर विरोध भी देखने को मिला था। हालांकि, सरकार अपने फैसलों पर अडिग रही और अब यह नया कदम उठाया गया है।

News : सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार का कहना है कि यह फैसला उन वीर सपूतों और स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में लिया गया है, जिन्होंने देश और समाज के लिए अपना बलिदान दिया। यह पहल राज्य की नई पीढ़ी को प्रेरित करने और उन्हें अपने इतिहास से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

इस निर्णय पर विभिन्न वर्गों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ लोगों ने इसे शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान की दृष्टि से सकारात्मक कदम बताया है, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम करार दिया है। विपक्ष ने सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग है।

उत्तराखंड सरकार का यह कदम न केवल शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि यह राज्य की नई पीढ़ी को प्रेरित करने और उन्हें अपने इतिहास से जोड़ने का भी एक माध्यम है। यह पहल राज्य में राष्ट्रीय भावना को मजबूत करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

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