News : 2016 में केंद्र सरकार ने नोटबंदी करने का फैसला लिया था जिसमें 1000 रूपए और 500 रूपए के पुरान नोटों को बंद कर दिया गया था। बता दें कि, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई से इस फैसले से संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड को पेश करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि, कादे की 2016 में हुई नोटबंदी को गलत बताने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसला सुरक्षित रख लिया है इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से 2 दिन में लिखित दली जमा करने को कहा है।
News : 58 याचिकाओं पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट 2016 में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि न्यायिक समीक्षा का दायरा सीमित है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि अदालत चुपचाप बैठी जाएगी।
बता दे कि, 24 नवंबर को मामले पर विस्तृत सुनवाई शुरू की थी जिसमे जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ शामिल थी। 5 जजों की संविधान पीठ में जस्टिस नज़ीर के अलावा संविधान पीठ के अन्य 4 सदस्य हैं जिसमे जस्टिस बी आर. गवई, ए. एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना है।
News : 8 नवंबर 2016 की लिया था फैसला
केंद्र सरकार ने 2016 में 8 नवंबर को 500 और 1000 के नोटों को वापस लेने का फैसला लिया था। कई लोग इस केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को गलत बता रहे हैं इसके खिलाफ कोर्ट में कई याचिकाएं भी दाखिल की गई है।
16 दिसंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट में मामला 5 जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी पर रोक लगाने समेत मामले में कोई भी अंतिम आदेश देने से मना कर दिया था।
News : जरासंध का दिया उदाहरण
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपने फैसले का पुरजोर बचाव किया। अटॉर्नी जनरल वेंकटरमनी ने बताया कि यह टैक्स चोरी रोकने और काले धन पर लगाम लगाने के लिए लागू की गई सोची-समझी योजना थी। नकली नोटों की समस्या से निपटना और आतंकवादियों की फंडिंग को रोकना भी इसका मकसद था।
इसके साथ उन्होंने महाभारत के पात्र जरासंध का भी उदाहरण दिया। उनका कहना है कि जिस तरह जरासंध को चीर कर दो टुकड़ों में फेंका गया था, उसी तरह इन समस्याओं के भी टुकड़े किए जाना जरूरी था।
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