News : लखनऊ में सिंचाई विभाग मुख्यालय में तैनात एक इंजीनियर के खिलाफ 9 महीने बाद भी FIR नहीं हुई। इंजीनियर के खिलाफ कार्यवाही की फाइल को अफसर द्वारा दबा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक आरोपी इंजीनियर अब विभाग के प्रमुख अभियंता ENC बनने की रेस में आगे हैं।
चीफ इंजीनियर अशोक कुमार सिंह सहित कई इंजीनियरों के खिलाफ मध्य गंगा नहर परियोजना के नाम में अनियमता बरतने के आरोप भी लगे थे। जिसपर शासन द्वारा 5 लाख का जुर्माना भी लगाया था। साथ में मुकदमा दर्ज करने का निर्देश भी दिया था। प्रचलित रेट से ज्यादा का मुकदमा भुगतान किया।
जानकारी के लिए बता दे कि 2012 में मेरठ में अधीक्षण अभियंता के पद पर अशोक कुमार सिंह की तैनाती थी। मध्य गंगा नहर परियोजना में 5.535 साइफन निर्माण का टेंडर निकला था। सैफ निर्माण से पहले नहर को खाली करना था नहर से पानी निकालने के लिए विभाग की तरफ से 27 किलो वाट का रेट तथा। लेकिन अपने पद का फायदा उठाते हुए ठेकेदार से मिली भगत करके इसके रेट बढ़ाकर 41 रुपए किलो वाट कर दिया था।
इसके बाद नहर में सिविल का कार्य नहीं होने के बाद भी उसका भुगतान करवाया गया। नियम अनुसार बारिश के समय सफाई निर्माण नहीं होना चाहिए। वहीं कमिश्नर को लेकर हुई अनबन का मामला अब हाई कोर्ट पहुंचा। कमिश्नर को लेकर अफसर और ठेकेदारों के बीच मतभेद हो गया।
आरोप है कि अधीक्षण अभियंता पद पर रहते हुए अशोक कुमार सिंह ने ठेकेदार का भुगतान रोक दिया था। इस मामले को लेकर ठेकेदार ने 17 में 2022 हाईकोर्ट जहाज का डाल दी। कोर्ट ने सुनवाई के बाद 16 अप्रैल 2024 को जजमेंट सुनते हुए विभाग से ठेकेदार को ब्याज सहित पैसा देने का निर्देश दिया था।
कोर्ट के आदेश के बाद विभाग को 25 करोड़ का भुगतान करना पड़ा। जबकि टेंडर 7 करोड़ का था शासन ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
रिपोर्ट : पवन श्रीवास्तव