News : महेंद्र भट्ट दोबारा बने उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष, रचा इतिहास!
News : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तराखंड में एक बार फिर बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। पार्टी ने महेंद्र भट्ट को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपते हुए न सिर्फ एक अनुभवी और जमीनी नेता को आगे किया है, बल्कि राज्य में आगामी चुनावी रणनीति का संकेत भी दे दिया है। भट्ट अब उत्तराखंड भाजपा के 10वें प्रदेश अध्यक्ष बन गए हैं और लगातार दूसरी बार यह पद संभालने वाले चुनिंदा नेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं। 

News : दोबारा कमान मिलने से संगठन में उत्साह
भाजपा ने महेंद्र भट्ट के नाम का ऐलान करते हुए प्रदेश संगठन को एक बार फिर स्थायित्व और अनुभव का भरोसा दिया। भट्ट इससे पहले भी 2022 में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे और उनके नेतृत्व में पार्टी ने विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी। अब 2027 की रणनीति तैयार करने और 2024 के लोकसभा चुनावों की चुनौतियों को पार करने के लिए पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है। भट्ट की नियुक्ति के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। देहरादून से लेकर उनके गृह जिले बागेश्वर तक कार्यकर्ताओं ने मिठाइयां बांटीं और ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया।
News : कैसा रहा भट्ट का अब तक का सफर?
महेंद्र भट्ट उत्तराखंड भाजपा में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वह बागेश्वर जिले की कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। राजनीति में सक्रियता के साथ-साथ वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा से भी गहराई से जुड़े रहे हैं। भट्ट संगठनात्मक कार्यों में दक्ष माने जाते हैं और पार्टी की नीतियों को बूथ स्तर तक पहुंचाने में माहिर हैं। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में पार्टी संगठन को नई ऊर्जा दी और विभिन्न मोर्चों को सक्रिय करने के लिए कई अहम पहल की।News : लगातार दो बार अध्यक्ष बनने वाले चुनिंदा नेता
महेंद्र भट्ट का दोबारा अध्यक्ष बनना उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा रिकॉर्ड है। अब तक राज्य में किसी भी भाजपा नेता को लगातार दो बार अध्यक्ष पद पर नहीं बैठाया गया था। इससे साफ है कि पार्टी हाईकमान ने उनके नेतृत्व कौशल और जमीनी पकड़ को सराहा है। उनकी इस नियुक्ति से यह भी स्पष्ट होता है कि पार्टी आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को लेकर पहले से ही रणनीति तय कर रही है और संगठनात्मक स्थायित्व के जरिए मतदाताओं में भरोसा कायम रखना चाहती है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो भट्ट की दोबारा नियुक्ति का एक बड़ा कारण उनकी जमीनी पकड़ और सभी गुटों को साथ लेकर चलने की क्षमता है। उनके पिछले कार्यकाल में भाजपा ने दलित, महिला, युवा और किसान मोर्चा को संगठित किया, जिससे पार्टी का जनाधार बढ़ा। अब जबकि विपक्ष राज्य सरकार पर हमलावर रुख अपनाए हुए है और कांग्रेस नए सिरे से संगठन खड़ा कर रही है, भाजपा ने भट्ट के जरिए यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि पार्टी नेतृत्व में किसी तरह का प्रयोग नहीं करेगी।