NEWS : केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। अपने हलफनामे में, केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि समान लिंग संबंध और विषमलैंगिक संबंध स्पष्ट रूप से अलग-अलग वर्ग हैं, जिन्हें समान नहीं माना जा सकता है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि समान लिंग वाले व्यक्तियों द्वारा भागीदारों के रूप में एक साथ रहना, जिसे अब डिक्रिमिनलाइज़ किया गया है। केंद्र का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से एक दिन पहले आया है।
समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कल यानि 13 मार्च को सुनवाई करेगा। इन सभी याचिकाओं को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है।
NEWS : याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर लिया
केंद्र सरकार ने दायर अपने हलफनामे में कहा कि विवाह की धारणा अनिवार्य रूप से अपोजिट सेक्स के दो व्यक्तियों के बीच एक मिलन को मानती है। इसे विवादित प्रावधानों के जरिए खराब नहीं किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 जनवरी को, दिल्ली उच्च न्यायालय सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित ऐसी सभी याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर कर लिया था।
कई याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ से कहा था कि वे चाहते हैं कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर एक आधिकारिक फैसले के लिए सभी मामलों को अपने पास ट्रांसफर कर ले, ताकि केंद्र सरकार अपना जवाब पक्ष रख सके।
पिछले साल 14 दिसंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर केंद्र सरकार का जवाब मांगा था, ताकि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के आदेश दिए जा सके।
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