NEWS : समलैंगिक विवाह पर केंद्र का सख्त कदम, यह फैसला लेने का अधिकार अदालत को नहीं | Nation One

NEWS : समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई चल रही है। ये सुनवाई पांच जजों की संवैधानिक बेंच के द्वारा की जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से इससे पहले एक हलफनामा दायर किया गया था। जिसमें केन्द्र सरकार ने सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग की।

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कहा था कि कोर्ट समलैंगिक विवाह के अधिकार को मान्यता देकर कानून की एक पूरी शाखा को फिर से नहीं लिख सकती है। केंद्र के अनुसार, किसी नए सामाजिक परंपरा का निर्माण न्यायिक निर्धारण के दायरे से बाहर होता है।

NEWS : समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि ज्यूडिशियल अवॉर्ड की मदद से समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती है। इसके साथ केन्द्र सरकार ने कहा कि यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट के दायरे में नहीं आता है।

यह संसद के कार्य क्षेत्र में आता है। केन्द्र के मुताबिक, समलैंगिक विवाह को अपनाना अर्बन एलीट आइडिया को दर्शाती है। केन्द्र सरकार का कहना है कि सेम जेंडर में शादी को मान्यता नहीं देने का विकल्प विधायी नीति का एक हिस्सा है।

इस विधायी नीति को मद्देनजर रखते हुए अदालत का इस विवाद पर फैसला करना सही नहीं है। आगे कहा कि एक पुरुष और महिला के बीच ही केवल शादी हो सकती है।

NEWS : सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की अर्जी

केंद्र सरकार ने बीते दिन 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए कहा गया कि समलैंगिक विवाह को लेकर संसद की जवाबदेही नागरिकों के प्रति है। इस समलैंगिक विवाह को लेकर लोगों की इच्छा अनुसार काम करना चाहिए, खासकर जब पर्सनल लॉ की बात आती है।

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