आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा, मिलकर लड़ने की जरूरत : मोदी
एससीओ सम्मेलन: भारत को मिली सदस्यता, कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर
अस्ताना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में कहा कि दुनिया के लिए आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है। इसके खिलाफ मिलकर लडऩे की जरूरत है। मोदी ने भारत को सदस्यता देने के लिए सदस्य देशों का आभार व्यक्त किया।
मोदी ने कहा कि आतंकवाद के खतरे से निपटने और संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता को चोट पहुंचाए बिना कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एससीओ सदस्यों के बीच समन्वित प्रयासों का होना जरूरी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एससीओ परिवार में भारत के आने से आतंकवाद से निपटने को इस समूह को नई गति मिलेगी। पीएम मोदी ने कट्टरपंथ, आतंकवादियों की भर्ती, प्रशिक्षण एवं वित्त पोषण समेत आतंकवाद के खतरे से निपटने के समन्वित प्रयासों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत सक्रिय एवं सकारात्मक भागीदारी के लिए तैयार है। एससीओ देशों के साथ हमारा सहयोग व्यापक है। हम कनेक्टिविटी पर और ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।
संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता अहम कारक
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत अन्य नेताओं की मौजूदगी में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रकार के सहयोग में संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता अहम कारक होने चाहिए। पीएम मोदी का यह बयान ऐसे समय में महत्व रखता है, जब कुछ ही सप्ताह पहले भारत ने बीजिंग में आयोजित हाईप्रोफाइल बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार कर दिया था। इस सम्मेलन में विश्व के 29 नेताओं ने भाग लिया था। भारत ने 50 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए शिखर सम्मेलन से दूरी बनाई। यह गलियारा बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।
अफगान में शांति, जलवायु परिवर्तन से निपटने का आह्वान
पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ युद्ध पीडि़त अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में मदद करेगा। मोदी ने कहा कि ऊर्जा, शिक्षा, कृषि, रक्षा, खनिज, क्षमता निर्माण, विकास, साझेदारी, व्यापार और निवेश इसके वाहक हैं। प्रधानमंत्री ने एससीओ से जलवायु परिवर्तन से निपटने के भी प्रयास करने का आह्वान किया।