मुस्लिम प्रेमी संग भागी लड़की का मन बदला, कोर्ट ने माता-पिता संग जाने की दी अनुमति | Nation One
नई दिल्ली : मुस्लिम लड़के के साथ घर छोड़कर गई हिंदू लड़की को दिल्ली हाईकोर्ट ने माता-पिता के साथ लौटने की अनुमति दी है। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। इसी के साथ खंडपीठ ने उसे सुरक्षा प्रदान करते हुए यह शर्त भी लगाई है कि उसके माता-पिता उसकी शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी उठाएंगे।
लड़की बीटेक की छात्रा है। उसने दावा किया था कि वह यूपीएससी की भी तैयारी कर रही है और उसे अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए अपने माता-पिता से उचित समर्थन नहीं मिल रहा था। इस कारण वह घर से भाग गई थी। सोमवार को अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान जज ने निजी तौर पर लड़की के साथ बातचीत की और उसे अपने माता-पिता के साथ भी अदालत के समक्ष बातचीत करने का मौका दिया गया।
निजी बातचीत के बाद, अदालत ने कहा कि लड़की पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल न होने के कारण अपने घर से चली गई थी और इसी कारण से वह वापस जाने की इच्छा नहीं रखती थी। हालांकि, अदालत की उपस्थिति में अपने माता-पिता के साथ बातचीत के बाद लड़की ने अपना मन बदल लिया है और कहा है कि वह वापस लौटने के लिए तैयार है बशर्ते वे उसकी शिक्षा में सहयोग करेंगे।
उसके माता-पिता ने अदालत को आश्वासन दिया कि जो कुछ भी हुआ है, उसके लिए वह उसे डांटेंगे या ताना नहीं देंगे। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया है कि वे उसे किसी अन्य व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर नहीं करेंगे, जिससे वह अन्यथा शादी करना पसंद नहीं करेगी।
अदालत एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी और पिछली सुनवाई में लड़की का पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) को निर्देश दिए थे। अदालत ने इस बात पर भी अचंभा जाहिर किया था कि माता-पिता द्वारा अपनी बेटी के लापता होने की शिकायत दिए जाने के बावजूद मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी।
पिता के आरोप के अनुसार, एक मजदूर सैयद मुस्तफा उसकी इंजीनियर बेटी को उनके घर से अपने साथ ले गया और उसी दिन वे ट्रेन से कोलकाता चले गए। उन्होंने संदेह जताया था कि यह सब संगठित अपराध के तरीके से किया गया था।
हालांकि, लड़की ने इस कहानी का खंडन किया और कहा कि वह अपने स्वयं की इच्छा से उक्त मुस्तफा के साथ गई थी क्योंकि वह अपने घर में काफी परेशान थी। राज्य ने इस रुख की पुष्टि की और कहा कि एक निकाहनामा भी पेश किया गया था, हालांकि अभी तक इसका सत्यापन नहीं किया जा सका है।
पुलिस ने प्रस्तुत किया था कि उन्हें दंपती का एक निकाहनामा प्राप्त हुआ है, जो डाक द्वारा भेजा गया था। अदालत ने इस बात पर काफी आश्चर्य जाहिर किया था कि पुलिस ने एक असत्यापित विवाह के मामूली बयान के आधार पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। इसके बाद कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया था कि वह लड़की को खोजे और कोर्ट के समक्ष पेश करने से पहले चार दिन तक उसे नारी निकेतन में रखे ताकि यह सत्यापित किया जा सकें कि उसने जो बयान दिया है,वो स्वेच्छा से दिया गया है।