राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि पूरी दुनिया कोरोना महामारी के बीच अपनी वृद्धि और जीविका के लिए भारतीय तरीको को अपना रही है और कोरोना महामारी के दौर में जीवन निर्वाह कर रही है।
मोहन भागवात ने कहा कि 50 साल पहले, जैविक खाद की एक योजना केंद्र द्वारा डंप की गई थी क्योंकि इसे स्वदेशी दिमाग द्वारा विकसित किया गया था, लेकिन आज दुनिया के सामने कोई और विकल्प नहीं है।
कोटा में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि कृषि का अर्थशास्त्र का पहलू बुरा नहीं है, लेकिन लोग यह देखने में विफल हैं कि लोगों का एक वर्ग व्यापार के लिए दूसरों का शोषण करना चाहता है।
भागवत ने दत्तोपंत ठेंगडी की दूरदर्शिता और उनके कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘भारत में कृषि कभी भी व्यापार का विषय नहीं थी, लेकिन दुनिया इसे कृषि अर्थशास्त्र के रूप में देखती है। हमने इसे देवी लक्ष्मी की पूजा के साधन के रूप में, प्रतिष्ठा की देवी के रूप में देखा है, व्यापार के संचालन के साधन के रूप में नहीं।’