नई दिल्ली: मिशन चंद्रयान-2 की कामयाबी का लम्हा बेहद ही करीब आ चुका है। ISRO के Chandrayaan-2 का लैंडर ‘विक्रम’ शनिवार तड़के चांद की सतह पर ऐतिहासिक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के लिए तैयार है। फिलहाल विक्रम चांद की सतह से करीब 30 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगा रहा है। इसके बाद विक्रम को चांद की सतह की ओर बढ़ना है।
इसरो ने विक्रम के आज के सफर पर एक एनिमेटेड वीडियो जारी किया है। इसमें दिखाया गया है कि लैंडर विक्रम किस तरह चांद के करीब पहुंचकर सतह की स्कैनिंग करेगा और इससे मिलने वाले सिग्नल के आधार पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए सही जगह का चुनाव किया जाएगा, तब जाकर विक्रम चांद को छुएगा।
इसरो से मिली जानकारी के मुताबिक 7 सितंबर यानि आज रात 1.40 बजे विक्रम का पावर सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगा। विक्रम चांद की सतह के बिल्कुल सीध में होगा। विक्रम अपने ऑनबोर्ड कैमरा से चांद के सतह की तस्वीरें लेना शुरू करेगा। विक्रम अपनी खींची तस्वीरों को धरती से लेकर आई चांद के सतह की दूसरी तस्वीरों से मिलान करके ये पता करने की कोशिश करेगा की लैंडिंग की सही जगह कौन सी होगी। इसरो के इंजीनियर ने लैंडिंग वाली जगह की पहचान कर ली है।
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पूरी कोशिश चंद्रयान को उस जगह पर उतारने की होगी। लैंडिंग की सतह 12 डिग्री से ज्यादा उबड़-खाबड़ नहीं होनी चाहिए। ताकि यान में किसी तरह की गड़बड़ी न हो। एक बार विक्रम लैंडिंग की जगह की पहचान कर लेगा, उसके बाद सॉफ्ट लॉन्च की तैयारी होगी। इसमें करीब 15 मिनट लगेंगे। यही 15 मिनट मिशन की कामयाबी का इतिहास लिखेंगे।
नेशनल ज्योग्राफिक ने मंगलवार को घोषणा की है कि यह अपने दर्शकों को जीवन में सिर्फ एक बार होने वाला ऐतिहासिक अनुभव चंद्रयान-2 की लैंडिंग का एक्सक्लूसिव लाइव प्रसारण करके दिखाएगा। इस शो का प्रसारण 6 सितंबर, 2019 को नेशनल ज्योग्राफिक चैनल और हॉटस्टार पर रात साढ़े 11 बजे से किया जाएगा। इसे हॉटस्टार यूजर देख सकते हैं।
इसरो को यदि ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता मिलती है तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा तथा चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि ‘चंद्रयान-2’ लैंडर और रोवर को लगभग 70 डिग्री दक्षिणी अक्षांश में दो गड्ढों ‘मैंजिनस सी’ और ‘सिंपेलियस एन’ के बीच एक ऊंचे मैदानी इलाके में उतारने का प्रयास करेगा।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का है। इस दौरान यह चंद्रमा की लगातार परिक्रमा कर हर जानकारी पृथ्वी पर मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों को भेजता रहेगा। वहीं, रोवर ‘प्रज्ञान’ का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर है। इस दौरान यह वैज्ञानिक प्रयोग कर इसकी जानकारी इसरो को भेजेगा।