![मराठा आंदोलन की आग में झुलसा महाराष्ट्र, तीन लोगों ने की खुदकुशी की कोशिश](https://nationone.tv/wp-content/uploads/2018/07/Maharshtra-Violence.jpg)
मराठा आंदोलन की आग में झुलसा महाराष्ट्र, तीन लोगों ने की खुदकुशी की कोशिश
मराठा आरक्षण को लेकर मंगलवार को बुलाए गए बंद का असर दिखने लगा है. विरोध प्रदर्शन को देखते हुए महाराष्ट्र में स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए औरंगाबाद में इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से रोक दी गईं हैं.
बंद का सबसे ज्यादा असर मराठवाड़ा इलाके में देखने को मिल रहा है. आरक्षण की मांग पूरी न होने से नाराज मराठा मोर्चा ने मंगलवार को महाराष्ट्र में बंद का ऐलान किया है. बताया जाता है कि औरंगाबाद में जलसमाधि आंदोलन के दौरान एक आंदोलनकारी काका साहेब दत्तात्रेय शिंदे ने गोदावरी नदी में छलांग लगाकर जान दे दी थी.
उसकी मौत के बाद इस प्रदर्शन ने उग्र रूप ले लिया है. हालांकि इस आंदोलन में मुंबई, सतारा, सोलापुर और पुणे को शामिल नहीं किया गया है.
औरंगाबाद मराठा आरक्षण के मामले में हो रही देरी और सोमवार को प्रदर्शन के दौरान नदी में कूदकर एक शख्स की खुदकुशी के विरोध में बुलाए गए महाराष्ट्र बंद हिंसक होने लगा है। औरंगाबाद में प्रदर्शनकारी हिंसक हो गए और उन्होंने ट्रकों में आगजनी की। इस बीच मंगलवार को दो और युवकों ने नदी में कूदकर जान देने की कोशिश की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने विरोध में अपने सिर मुंडवा लिए।
बंद का सबसे ज्यादा असर मराठवाड़ा इलाके में दिख रहा है। यहां स्कूल और कॉलेज बंद हैं। औरंगाबाद में इंटरनेट सेवाएं रोक दी गईं और प्रदर्शनकारी धरना दे रहे हैं। आपको बता दें कि मराठा आंदोलन उग्र होने की वजह से उस्मानाबाद शहर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
औरंगाबाद-पुणे मार्ग बंद
औरंगाबाद-पुणे मार्ग भी बंद है। यहां मराठा क्रांति मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। औरंगाबाद में सरकारी बसों की सेवा मंगलवार को बंद है। मराठा आरक्षण बिल के लिए हो रहे प्रदर्शन के चलते महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे को मराठवाड़ा जिले के टूर को छोटा कर दिया।
मृतक के परिवार को मुआवजा देने का वादा
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सोमवार को औरंगाबाद जिले के सिल्लोड तहसील स्थित कायगांव टोक में एक 28 वर्षीय युवक काका साहेब दत्तात्रय शिंदे ने गोदावरी नदी में छलांग लगा दी थी। उसकी मौत के बाद मराठा आंदोलन घटनास्थल पर अधिक आक्रामक हो गया। मृतक के परिवार को मुआवजा और भाई को नौकरी देने का वादा प्रशासन की ओर से किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, औरंगाबाद और उस्मानाबाद को छोड़कर राज्य के दूसरे हिस्सों में महाराष्ट्र बंद का कोई खास असर नहीं दिख रहा है। इसकी वजह है कि महाराष्ट्र क्रांति मोर्चा के ‘महाराष्ट्र बंद’ में मुंबई-पुणे, सातारा, सोलापुर शामिल नहीं हैं।
जानें क्यों उग्र हो गया है मराठा समाज
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ राज्य के सबसे बड़े मराठा समाज में आग सुलग रही है। मराठों का गुस्सा उबाल मार रहा है। 72 हजार सरकारी नौकरियों की भर्ती में मराठों के लिए 16 प्रतिशत पद आरक्षित रखने का सीएम का फैसला इस आग को ठंडा करने के बजाय और भड़का रहा है। पूजा करने पंढरपुर न जाने के मुख्यमंत्री के फैसले पर भी मराठा समाज नाराज है। मराठा समाज को लग रहा है कि मुख्यमंत्री ने यह फैसला मराठों को अपमानित करने के लिए लिया है।
श्रद्धालुओं से भरी बस फंसी
इस बीच महाराष्ट्र बंद की वजह से पंडरपुर में आयोजित ‘वारी’ (एक धार्मिक यात्रा) में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं से भरी बस पिछली रात से लातुर बस स्टैंड पर फंसी हुई है। बस कंडेक्टर ने बताया, ‘हमें अपने रिस्क पर आगे जाने के लिए कहा गया है। लोगों ने कहा, ‘यहां कोई स्टाफ नहीं है और हमारे पैसे भी नहीं लौटाए जा रहे हैं।’
मराठा क्रांति मोर्चा के सदस्यों का प्रदर्शन
औरंगाबाद के डीएम उदय चौधरी ने कहा, ‘महाराष्ट्र सरकार ने मराठा क्रांति मोर्चा की ज्यादातर मांगें स्वीकार कर ली है। साथ ही आरक्षण की मांग की रिपोर्ट जल्द ही सरकार को भेजी जाएगी। हम युवक के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा और उसके भाई को सरकारी नौकरी देंगे।’ दूसरी ओर जल समाधि प्रदर्शन के दौरान गोदावरी नदी में कूदे शख्स की मौत के खिलाफ मराठा क्रांति मोर्चा के सदस्यों का प्रदर्शन जारी है।
सीएम के इस आदेश से भड़की आग
सोमवार को दोपहर में परभनी के गंगाखेड़ में प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर बसों में तोड़फोड़ की और पुलिस की गाड़ियों पर हमले किए। बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने हाल में कहा था कि वह 72,000 सरकारी नौकरियां देने की घोषणा कर सकती है। सरकारी नौकरियों की भर्ती में मराठों के लिए 16 प्रतिशत पद आरक्षित रखने का सीएम का फैसला इस आग को ठंडा करने के बजाय और भड़का रहा है।
इसी को मराठों के विरोध-प्रदर्शनों को हवा मिलने का सबब माना जा रहा है। मराठा समुदाय ने राज्य सरकार से तब तक कोई भर्ती नहीं करने की मांग की है, जब तक वह नौकरियों में उन्हें आरक्षण देने की उनकी मांग पर कोई कदम नहीं उठा लेती।