फर्जी पत्रकारों के मुद्दे को मद्रास हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया कहा, सभी प्रेस संघों को अपने कब्जे में ले लिया फर्जी पत्रकारों ने
मद्रास हाईकोर्ट ने ‘फर्जी पत्रकारों ‘के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान नोटिस लिया है और समस्या से निपटने के लिए तमिलनाडु सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और विभिन्न पत्रकार निकायों से जवाब मांगा है। जस्टिस एन .किरुबाकरन और जस्टिस पी. वेलमुरुगन की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर उस समय संज्ञान लिया, जब पीठ एक एस.सेकरन द्वारा दायर याचिका (W.P.No.32091 of 2019) पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह एक पाक्षिक पत्रिका चला रहा था जिसका नाम ”मानीदा मनम”था। सरकार की तरफ से पेश वकील ने आपत्ति की और कहा कि याचिकाकर्ता एक वास्तविक मीडिया व्यक्ति नहीं था और उसकी पत्रिका को कोई नहीं जानता था। सत्यापित करने के लिए पीठ ने उसे एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें उसे उसका परिचय स्पष्ट करने को कहा गया। इसके बाद याचिकाकर्ता ने छह पहचान पत्र पेश किए।
यह भी कहा गया कि वास्तविक प्रेस के पत्रकारों को दरकिनार कर दिया जाता है और इन फर्जी प्रेस पत्रकारों ने सभी प्रेस संघों को अपने कब्जे में ले लिया है। पहचान पत्र जारी करने से पहले पार्टियों की पहचान का विस्तार से सत्यापन करना चाहिए। प्रेस के पत्रकारों का दावा करने वाले इन लोगों की गतिविधियों के कारण, प्रेस की छवि को धूमिल हो गई है, इसलिए सिस्टम को साफ करना होगा ताकि वास्तविक पत्रकारों/ प्रेस के लोगों के हितों की रक्षा की जा सके।
पांच पत्रकारों ने 21 जनवरी 2020 को एक याचिका दायर कर कहा कि उनको इस मामले में पक्षकार बनाया जाए ताकि वह अदालत की सहायता कर सकें। पीठ ने इन पत्रकारों संध्या रविशंकर, जे जयबाथुरी, डी प्रकाश, प्रतिभा परमेस्वरन और संजय राव को पक्षकार बनने की अनुमति दे दी। इस मामले पर अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट