प्रेमी जोड़े ने खाया जहर, लड़की की मौत

पौड़ी में विकासखंड थलीसैंण के चोपड़ाकोट पट्टी में प्रेमी जोड़े ने विषाक्त पदार्थ खा लिया। इसमें लड़की की उपचार के दौरान मौत हो गई, जबकि लड़के को श्रीनगर रेफर कर दिया है। दोनों प्रेमी जोड़े आस-पास के गांव के रहने वाले बताए जा रहे हैं।

चोपड़ाकोट पट्टी के राजस्व उप निरीक्षक यशवंत सिंह ने बताया कि लड़की पूजा क्षेत्र के रौली गांव की रहने वाली थी, जबकि लड़का संजय सुंदर गांव का रहने वाला है। मामला प्रेम प्रसंग से जोड़ा जा रहा है।

राजस्व उपनिरीक्षक के मुताबिक लड़का देहरादून में रहता है तथा इन दिनों अपने गांव आया था। बताया कि घटना के वक्त दोनों रौली गांव में लड़की के घर में विषाक्त पदार्थ खाए हुए मिले। स्थानीय लोगों की मदद से 108 से दोनों को उपचार के लिए स्वास्थ्य केंद्र थलीसैंण लाया गया, जहां से चिकित्सकों ने दोनों को ही रात्रि को उपचार के लिए जिला चिकित्सालय पौड़ी भेज दिया।

यहां उपचार के दौरान लड़की ने दम तोड़ दिया, जबकि लड़के की गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों ने श्रीनगर रैफर कर दिया गया है। थलीसैंण के तहसीलदार डीडी कापड़ी ने बताया कि मामला प्रथम दृष्टया प्रेम प्रसंग का लग रहा है।

पंचेश्वर बांध पहाड़ के लिए खतराः मेधा पाटकर

सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद् और नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रणेता मेधा पाटकर ने चंपावत में प्रस्तावित पंचेश्वर बांध को पहाड़ के लिए बड़ा खतरा बताया। मेधा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन, शराब आंदोलन की ही तरह अब महिलाओं को पंचेश्वर बांध के लिए चल रहे आंदोलन में कूदना होगा। जरूरत पड़ने पर वह भी आंदोलन को पूरा समर्थन देंगी। मेधा बुधवार को दो नहरिया स्थित एक बैंक्वेट हॉल में आयोजित उत्तराखंड महिला सम्मेलन में शामिल होने पहुंची थीं।

पत्रकारों से बातचीत में मेधा ने कहा पूर्व में भी सरकार ने टिहरी बांध प्रभावितों के पुनर्वास और रोजगार के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे, जबकि वादे धरातल पर पूरी तरह से नहीं उतर सके। पंचेश्वर बांध पर खुलकर बोलते हुए मेधा ने कहा कि अगर पंचेश्वर बांध बनेगा तो पहाड़ के लोगों के लिए पांव रखने की भूमि भी नहीं बचेगी। पहाड़ की नदियों, प्राकृतिक स्रोत, खनिजों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।

वह बोलीं कि विकास के नाम पर पहाड़ के जल-जंगल और जमीन पर हमले हो रहे हैं। केंद्र और प्रदेश की सरकारों को विकास के नाम पर मूल्यहीन राजनीति नहीं करनी चाहिए। दो दिवसीय महिला सम्मेलन में जल-जंगल-जमीन, शराब एवं नशा, स्वास्थ्य-शिक्षा, कृषि एवं महिला किसान, राजनीति, महिला हिंसा आदि विषयों पर विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक कार्य कर रहीं प्रदेशभर की महिलाओं ने अपने-अपने विचार रखे।

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