बेलपत्र, धतूरे, भांग से प्रसन्न होते भगवान शिव

सावन शुरू हो गया है। इस माह भगवान शिव की पूजा की जाती है। भोलेनाथ सादगी पसंद हैं पर इसके साथ ही उनकी पूजा में कई फूल वर्जित होते हैं और कुछ फूल उन्‍हें बेहद प्रिय हैं। इन फूलों की दिनों के हिसाब से भी उपयोगिता होती है।
शिव जी को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल नहीं अर्पित किए जाते हैं। इसके साथ ही भोलेनाथ की पूजा में केतकी और केवड़े के फूलों का भी उपयोग नहीं होता है। शिवजी को तुलसी भी नहीं चढ़ाते हैं। उन्‍हें अकौड़े, बेलपत्र, धतूरे, भांग और विष्‍णुकांता चढ़ाने का सबसे ज्याद महत्‍व है। इस बार सावन का पहला शनिवार पड़ेगा। इस दिन शिवजी की पूजा का विशेष महत्‍व है। इस दिन शिवजी की पूजा में नीले रंग का फूल इस्‍तेमाल करना उत्‍तम रहता है। इसलिए अगर आप शनिवार को शिव की पूजा में विष्‍णुकांता का फूल प्रयोग करेंगे तो शिवजी अवश्‍य प्रसन्‍न होंगे।
शिव उपासना में रखें इन बातों का ध्यान
सावन माह व‍िशेष रूप से शिवजी की पूजा पाठ की जाती है।श‍िवजी की पूजा में सोमवार का द‍िन खास होता है। सोमवार के द‍िन श‍िवजी की पूजा करने से भक्‍तों की मनोकामना जल्‍दी पूरी होती है। मान्‍यता है कि‍ श‍िवजी भक्‍तों पर जल्‍दी प्रसन्‍न होते है। हालांक‍ि इस दौरान शिव की उपासना में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
प्रातः काल उठकर पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसे में सुबह के समय शि‍वजी की पूजा हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही करनी चाह‍िए।
बहुत से लोग शाम के समय भी श‍िव साधना करते हैं। ऐसे में लोगों को शाम के समय शिव साधना पश्‍च‍िम की ओर मुंह करके करनी चाह‍िए। रात में श‍िव उपासना में गलत द‍िशा में न बैठें। रात के समय उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आराधना करने से श‍िवजी जल्‍दी प्रसन्‍न होते हैं।
श‍िवजी की पूजा में गंगाजल को शाम‍िल करना अच्‍छा माना जाता है। श‍िवजी के साथ माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल अर्पित करें।

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