उन्नाव : पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर राजनीति में बड़ा नाम रहा है। हाल ही में हुए यूपी विधानसभा उपचुनाव के बाद से यह नाम फिर से सुर्खियों में है। हाल ही में यूपी विधानसभा उपचुनाव और बिहार व अन्य सीटों पर हुए चुनावों में भाजपा ने भले ही बड़े पैमाने पर जीत हासिल की हो जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है पर, इससे इतर बांगरमऊ सीट बरकरार रखने के लिए भाजपा नेतृत्व के साथ- साथ पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के प्रभाव को भी एक बड़ा फैक्टर माना जा रहा है।
2017 के विधानसभा चुनाव में बांगरमऊ सीट कुलदीप सिंह सेंगर ने पहली बार भाजपा के लिए निकाली थी। हालांकि, इससे पहले यह सीट सेंगर ही जीतते रहे, तब वह सपा और बसपा में रहे। कुछ आरोपों में घिरने के बाद उनकी इस सीट पर हाल ही में उपचुनाव हुआ था। भाजपा ने इस सीट को बरकरार रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। खुद मुख्यमंत्री ने उपचुनाव के पहले यहां दो बार रैली की थी।
योगी मंत्रिमंडल के कई मंत्री भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे पर, इसके बावजूद पार्टी को यह सीट ज़्यादा भारी नहीं लगने लगी। उन्हें यहां अपने पूर्व विधायक सेंगर का प्रभाव नज़र आ रहा था। तभी तो सांसद साक्षी महाराज ने चुनाव प्रचार के दौरान यह कहा था कि, ‘कुलदीप सेंगर उन्नाव में स्वयं एक पार्टी थे।
उनके प्रभाव का पार्टी को लाभ उठाना चाहिए। मैं यह नहीं कह सकता कि उनका (सेंगर) फैक्टर काम नहीं कर रहा है। मतदाताओं में कुलदीप सेंगर के प्रति सहानुभूति है और अगर वह जेल से भी चुनाव लड़ते तो जीत जाते। आरोप तो लगते रहते रहते हैं। मैं कानून व्यवस्था पर कोई टीका टिप्पणी नहीं करना चाहता पर, कई बार सत्य को भी फांसी हो जाती है’।
आपको बता दें,बांगरमऊ सीट भाजपा ने बरकरार रखी.यहां से भाजपा ने श्रीकांत कटियार को मैदान में उतारा था, जिसमें कटियार ने 31380 वोटों से जीत दर्ज की थी लेकिन, इस जीत के पीछे सेंगर का ही फैक्टर प्रभावी माना जा रहा है।
कुलदीप समर्थक भी यही मानते हैं और वो खुलकर तो नहीं कह रहे हैं पर, उनका मानना है कि, ‘उनके नेता कुलदीप यूपी की राजनीति में एक बड़ा नाम है। लोग अब भी उनकी वापसी का इंतज़ार कर रहे हैं। लोग उनके लिए खड़े हैं। वे अब भी कुलदीप को निर्दोष मानते हैं और कहते हैं कि, उनके नेता को झूठा फंसाया गया है’।