नदी का संरक्षण और पुनर्जीवीकरण जनसहयोग से ही संभवः दीक्षित

हवालबाग विकासखंड के कसारदेवी विद्यापीठ गधोली में कोसी पुनर्जीवीकरण अभियान के प्रथम चरण के शुरूआत हो गई है। रविवार को अयोजित कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी ने इस अभियान को जनसहभागिता से चलाने का आह्वान किया। सीडीओ मयूर दीक्षित ने कहा कि यह अभियान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिहं रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने कहा कि इस नदी का संरक्षण और पुनर्जीवीकरण जनसहयोग से ही संभव है।

मनरेगा के माध्यम से चलाए जाएंगे अनेक कार्यक्रम

उन्होंने कहा कि कोसी नदी और इसकी सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए मनरेगा के माध्यम से अनेक कार्यक्रम चलाए जाएंगे। गांवों में चाल-खाल बनाने के साथ ही वहां चैड़ी पत्ती के पौधों का रोपण करने और सामूहिक खेती को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने ग्राम विकास अधिकारियों व ग्राम पंचायत अधिकारियों से गांवों में खुली बैठकें बुलाकर इस योजना पर कार्य करने को कहा। इसके लिए गधोली क्षेत्र में पौधरोपण और चाल खाल खनती बनाने का कार्य शुरू करने को कहा। साथ ही, पिलखा, घनेली, उडयारी, घुरसों, कुटगोली, छानी, जाखसोड़ा सहित अन्य ग्रामीण क्षेत्रों को भी इस कार्यक्रम से जोड़ने की बात कही।

इस अवसर पर उत्तराखंड सूचना विज्ञान केन्द्र के निदेशक प्रो. जीवन सिंह रावत ने बताया कि कोसी कैचमेंट एरिया को 14 रिजार्च जोनो में बांटा गया है। इसके लिए नोडल अधिकारी नामित किये गए हैं। उन्होंने कहा कि यह पहली गैर हिमानी नदी होगी जिसके उद्वार के लिए वृहद कार्यक्रम किया जा रहा है। उन्होंने कोसी नदी को नया जीवन देने के लिए ग्रामीणों की सहभागिता को जरूरी बताया। कार्यक्रम में पूर्व वन पंचायत संघ के अध्यक्ष गोविन्द सिंह मेहरा, करन सिंह मेहरा, ग्राम प्रधान गीता देवी व सुन्दर सिंह बिष्ट ने भी अपने विचार रखे।

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