
जानिए कौन हैं वो दो महिलाएं जिन्होने निभाई चंद्रयान 2 में अहम भूमिका….
रिपोर्ट: प्रियंका मलिक
भारत इतिहास रचने में सिर्फ कुछ कदम की दूरी पर ही रहा है। लेकिन जो भारत ने कर दिखाया है आज तक उसे किसी देश ने नहीं किया। जी हां पहले ही प्रयास में ISRO ने चांद की सतह तक पहुंचने का 95% प्रक्रिया पूरी की है और अभी तक ISRO के वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी हैं।
जैसा की आप सभी जानते है की 7 जुलाई की रात को 1 बजकर 55 मिनट पर चंद्रयान- 2 चांद की सतह पर पहंचने वाला था, लेकिन आखिरी के वो 15 मिनट सबसे चुनौतीपूर्ण थे और उन्ही 15 मिनट में बाजी पटल गई और फिर ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर का संपर्क टूट गया। कुछ पल के लिए तो सबकी सांसे थम सी गई थी , शायद आप और हम उस घड़ी को शब्दो में बयां ना कर पाए लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की ISRO के वैज्ञानिकों ने हार नही मानी क्योंकी उनके हौसंले बुंलद है। उसी जोश के साथ अभी भी ISRO के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।
चंद्रयान- 2 मिशन को पूरा करने के लिए ISRO के सभी वैज्ञानिकों ने अपने दिन और रात एक किए है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण योगदान किसका है ये शायद आप नही जानते होगें…? तो चलिए फिर जानते है उन दो महलाओं के बारे में जिनका चंद्रयान -2 मिशन में सबसे ज्यादा योगदान रहा हैं। वैसे तो हमारे देश मे आज भी महिलाओं को पुरूषो के मुताबिक कमजोर समझा जाता हैं, लेकिन जो लोग महिलाओं को कमजोर समझते हैं मैं उस तबके के लोगों को ये समझाना चाहती हूं की अंतरिक्ष पर जाने वाली भी भारत की पहली महिला ही थी जिनका नाम कल्पना चावला था और अब चंद्रयान 2 मिशन में भी अहम भूमिका निभाने वाली भी दो महिलांए है। जिनका नाम मुथैया वनिता जो की प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर, और ऋतु कारिधाल जो मिशन डायरेक्टर के तौर पर इस मिशन की रीढ़ बनी है। वैसे तो ISRO के चेयरमैन के सिवन ने कहा था कि चंद्रयान 2 मिशन की टीम में 30 फीसदी महिलाएं हैं। लेकिन मुथैया वनिता और ऋतु कारिधाल पिछले 20 सालों से ज़्यादा ISRO के साथ जुड़ी हैं और सेवाएं दे रही हैं।
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आइये जानते है मुथैया वनिता के बारे में…
मुथैया वनिता को डेटा क्वीन माना जाता है क्योंकि यह उनकी विशिष्ट प्रतिभा का क्षेत्र है। इतना ही नही वनिता डेटा हैंडल करने में माहिर हैं। वही चंद्रयान 2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर वनिता को 2006 में सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक के अवॉर्ड से नवाज़ा जा चुका है। ISRO के इतिहास में किसी प्रोजेक्ट की प्रमुख बनने वाली पहली महिला का गौरव मुथैया वनिता को इस मिशन की प्रमुख होने के साथ हासिल हुआ है।
इससे पहले वनिता कार्टोसेट-1, ओशियनसेट-2 और मेघ ट्रॉपिक्स उपग्रहों के मिशन से जुड़े डेटा सिस्टम के लिए प्रोजेक्ट की सह निदेशक रह चुकी हैं। यहां पर आपको मैं ये भी बता दू कि जब कोई इस तरह के खास मिशन से जुड़ता है तो उसे अपनी निजी जिंदगी को एक तरह से कुर्बान करना पड़ता है क्योंकि 18- 20 घंटे उस मिशन को देने पड़ते है, उस मिशन को कामयाब करने के लिए दिन रात एक करना पड़ता है, तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है एक मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर की जिम्मेदारियां कितनी होगी। और उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है मुथैया वनिता ने।
आइये जानते है ऋतु करिधल के बारे में…
ऋतु करिधल को ‘रॉकेट वुमन’ कहा जाता है। उन्होने चंद्रयान -2 में मिशन डायरेक्टर को तौर पर काम किया है। इससे पहले ऋतु करिधल ने 2013 में भारत के महत्वाकांक्षी मंगल मिशन में बतौर वैज्ञानिक काम कर चुकी है। मंगल मिशन कामयाब रहा था और भारत चौथा देश बना था, जिसने मंगल तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की थी। उस वक्त ऋतु ने मंगल मिशन में उपग्रह के ऑपरेशन को लेकर भूमिका निभाई थी। और इस बार उनके टैलेन्ट को देखते हुए उन्हे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसे उन्होंने बखूबी निभाया भी।
ऋतु करिधल 1997 से इसरो के साथ काम कर रही हैं। और 2007 में ऋतु करिधल को पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से ISRO यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है।
ये है वो महिलाएं जिन्होंने ना सिर्फ ISRO को गर्व महसूस कराया हैं ब्लकि पूरे देश को भी इन पर गर्व महसूस हो रहा हैं। भारत के इतने बड़े मिशन चंद्रयान-2 में इन दो महिलाओं का अहम रोल रहा हैं। साथ ही देश को ये संदेश दिया है की नारी शक्ति किसी से कम नहीं है।