जानिए कैसे इस बहादुर बेटी ने अपनी जान गवाकर बचाई थी 360 लोगों की जान…
स्वाति थपलियाल
जिस उम्र में यूथ अपने फ्यूचर के बारे में सोचते है, उस उम्र में एक बहादुर लड़की अपने फर्ज के बारे में सोच रही थी। अब आप लोग सोच रहे होगे कैसा फर्ज..? ये वो फर्ज था जिसमे महज 23 साल की एक लड़की के ऊपर 360 यात्रियों की जान की जिम्मेदारी थी।
ब्रेव डॉटर ऑफ इंडिया…
ब्रेव डॉटर ऑफ इंडिया “नीरजा भनोट” ने अपनी जान देकर 360 लोगों की बचाई थी, वो भी इतनी बहादुरी से जिसे जानकर भारत ही क्या पाकिस्तान से लेकर अमेरिका भी दंग रह गया था।
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22 साल की उम्र में हो गई थी शादी…
नीरजा तब केवल 22 साल की थीं जब उनकी शादी कर दी गई। मार्च 1985 में 22 साल की उम्र में उनकी अरेंज्ड मैरिज हुई और वो अपने पति के साथ कतर रहने चली गईं लेकिन ससुरालवालों की तरफ से दहेज की बेबुनियाद मांगों से परेशान होकर वो 2 महीने में ही अपने मायके वापस मुंबई आ गईं।
सफल मॉडल भी थी नीरजा…
नीरजा ने जब फ्लाइट अटेंडेंट की जॉब के लिए ‘पैन एएम’ में अप्लाई किया तब वह एक सफल मॉडल थीं। साल 1985 में उन्होंने पैन एएम के लिए आवेदन किया और चयन के पश्चात उन्हें फ्लाइट अटेंडेंट के तौर पर प्रशिक्षण हेतु मियामी और फ्लोरिडा भेजा गया लेकिन वो वापस पर्सर के तौर पर आईं। पैन एएम के साथ- साथ ही नीरजा मॉडलिंग भी कर रही थीं।
हिंदुस्तान, पाकिस्तान और अमेरिका की आवाम की आंखे नम…
महज 23 साल की छोटी-सी उम्र में कोई इतना बहादुर कैसे हो सकता है.. कि खुद को कुर्बान कर 360 लोगों की जिंदगी बचा जाए। जी हां बात हो रही उस अजीमोशान शख्सियत की जिसका हौसला हिमालय से ऊंचा और किरदार की बुलंदी ऐसी कि इंसानियत भी फक्र करे। अपने फर्ज को अंजाम देते हुये जब वह औरत दुनिया-ए-फानी को अलविदा कहती है तो हिंदुस्तान, पाकिस्तान और अमेरिका की आवाम की आंखे नम हो जाती हैं। उस प्रेरणादायी किरदार का नाम है नीरजा भनोट जिसने महज 23 साल की उम्र मेंअपनी जान देकर 360 लोगों की जान बचाई थी।
पाकिस्तान सरकार की तरफ से ‘तमगा-ए-इंसानियत’…
नीरजा के इस बलिदान पर भारत ही नहीं पूरा पाकिस्तान भी रोया था। भारत सरकार ने इस काम के लिए नीरजा को बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया। नीरजा यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला रहीं। इतना ही नहीं, नीरजा को पाकिस्तान सरकार की तरफ से ‘तमगा-ए-इंसानियत’ और अमेरिकी सरकार की तरफ से ‘जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड’ से नवाजा गया। याद हो कि नीरजा की जिंदगी पर पिछले साल एक फिल्म भी आई थी, जिसमें सोनम कपूर ने नीरजा का किरदार निभाया था। नीरजा की पुण्यतिथि पर हम एक बार फिर आपको बताते है देश की उस बहादुर लड़की की प्रेरणास्पद कहानी।
चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में जन्मी नीरजा…
7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में जन्मी नीरजा ने 5 सिंतबर 1986 को यानी आपने 23वें जन्मदिन से केवल 2 दिन पहले को पैन एएम की फ्लाइट 73 में सीनियर पर्सर थीं, ये फ्लाइट मुंबई से अमेरिका जा रही थी लेकिन पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर इसे 4 हथियारबंद लोगों ने हाईजैक कर लिया। इस फ्लाइट में 360 यात्री और 19 क्रू मेंबर्स थे। जब आतंकियों ने प्लेन हाईजैक किया तब नीरजा की सूचना पर चालक दल के तीनों सदस्य यानी पायलट, को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर कॉकपिट छोड़कर भाग गए।
आतंकियों और पाक सरकार में लगातार खींचातानी…
ये चारो आतंकवादी अबू निदान ऑर्गेनाइजेशन के थे और अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाना चाह रहे थे। दरअसल आतंकी प्लेन को इजराइल में किसी निर्धारित जगह पर क्रैश कराना चाहते थे लेकिन नीरजा ने उनका प्लान फेल कर दिया। इस घटना से बचकर निकले यात्री माइकल थेक्सटन ने एक पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक में माइकल ने दावा किया कि उन्होंने हाईजैकर्स को बात करते हुए सुना था कि वे जहाज को 9/11 की तरह इजराइल में किसी निर्धारित निशाने पर क्रैश कराना चाहते थे। हाईजैक के दौरान आतंकियों ने नीरजा और उसकी सहयोगियों को बुलाया और कहा कि वो सभी यात्रियों के पासपोर्ट एकत्रित करें ताकि वो किसी अमेरिकन नागरिक को मारकर पाकिस्तान पर दबाव बना सकें। नीरजा ने आतंकियों की आंखों में धूल झोंक दिया। विमान में अमेरिकी यात्री बैठे हुए थे, पर एक भी आतंकियों के हवाले नहीं हुए। नीरजा ने सबके पासपोर्ट छुपा लिए। यह जानकर आतंकी तिलमिला उठे। वे एक अंग्रेज को खींचकर विमान के गेट पर ले आए और गोली मारने लगे। लेकिन यहां भी नीरजा ने अपने कार्यकुशलता का परिचय दिया और आतंकियों का ऐसा दिमाग घूमाया कि उन्होंने उस ब्रिटिश को छोड़ दिया। आतंकियों और पाक सरकार में लगातार खींचातानी चलती रही।
नीरजा ने 17 घंटो तक बंधी रही हिम्मत…
इधर 360 डरे हुए लोगों में एक अकेली भारतीय नीरजा डटी रही। नीरजा ने 17 घंटे हिम्मत बांधे रखी। अचानक उसे खयाल आया कि अब विमान का ईंधन खत्म होने वाला है। ऐसा हुआ तो विमान में अंधेरा छा जाएगा और भागदौड़ मच जाएगी। जिसमें बेतहाशा खून बहेगा। नीरजा ने फिर अपने भारतीय होने की पहचान दी। उसने तत्काल आतंकियों को खाने का पैकेट दिया और यात्रियों को आपातकालीन खिड़कियों के बारे में तेजी समझाया। तभी विमान का ईंधन खत्म हो गया। चारों तरफ अंधेरा छा गया। इस बीच नीरजा ने मौका पाकर विमान के दरवाजे खोल दिए और यात्रियों ने प्लेन से नीचे कूदाना शुरू कर दिया। लेकिन इसी बीच दहशतगर्दों ने गोलियां दागना शुरू कर दी। मौका देखकर पाक कमांडो भी विमान के पास पहुंच गए। फिर दोनों तरफ से धुआंधार गोलीबारी के बीच लोग भागने लगे थे और नीरजा आतंकियों को छकाने में लगी थी। नीरजा ने आतंकियों को उलझाए रखा ताकि वो किसी को नुकसान न पहुंचा सकें और वो इसमें कामयाब भी रही।
आतंकी ने नीरजा को गोलियों से छलनी कर दिया…
सबके निकल जाने के बाद आखिर में जब वो विमान से निकलने लगी, तो अचानक उसे कुछ बच्चों के रोने की आवाज सुनाई दी। नीरजा ने रोते हुए बच्चों को छोड़कर भागना ठीक नहीं समझा। वो वापिस गई और बच्चों को ढूंढ निकाला। जैसे ही वह उन्हें लेकर एक आपातकालीन खिड़की ओर बढ़ी एक आतंकी उसके सामने आ खड़ा हुआ। नीरजा ने बच्चों को नीचे धकेल दिया और आतंकी ने नीरजा को गोलियों से छलनी कर दिया।
बहादुर बेटी को हमारा सलाम…
17 घंटे तक चले इस खून खराबे में अंततः 20 लोगों की जान चली गई और वो भारतीय वीरांगना भी शहीद हो गई। पाक की धरती पर ही दुनिया भर के 360 लोगों की जान बचाने वाली बहादुर बेटी नीरजा को पाकिस्तान भी सेल्यूट करता है। घटना के दो दिन बाद वो अपना 23वां जन्मदिन मनाने वाली थी। लेकिन सपने अधूरे रह गए। नीरजा को हमारी तरफ से सलाम…