राज्य स्थापना दिवस पर पीएम मोदी की शिरकत से केदारनाथ शीतकालीन यात्रा को नई उड़ान
रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति ने पूरे राज्य में उत्साह का माहौल बना दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री को ओंकारेश्वर मंदिर (उखीमठ) की सुंदर प्रतिकृति भेंट की। यह मंदिर पंचकेदार में से एक भगवान केदारनाथ और द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के शीतकालीन गद्दी स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
मुख्यमंत्री के इस कदम को स्थानीय लोगों ने शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल माना है। उखीमठ और आसपास के क्षेत्रों में इस खबर से खुशी की लहर दौड़ गई है।
ओंकारेश्वर मंदिर: पंचकेदार का शीतकालीन केंद्र
पंचकेदार परंपरा के अनुसार, केदारनाथ और मदमहेश्वर धाम के कपाट शीतकाल के दौरान बंद हो जाते हैं। इस समय दोनों धामों की चल विग्रह डोलियां ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में विराजमान की जाती हैं।
केदारनाथ के वरिष्ठ पुजारी शिव शंकर लिंग के अनुसार, “भगवान केदारनाथ और मदमहेश्वर के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन करने से वही पुण्य फल प्राप्त होता है, जो धामों में दर्शन से मिलता है।”
इस वर्ष केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो चुके हैं, जबकि द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे। इसके बाद 21 नवंबर को भगवान मदमहेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी, जिससे शीतकालीन यात्रा का शुभारंभ होगा।
प्रधानमंत्री को प्रतिकृति भेंट का महत्व
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री धामी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को ओंकारेश्वर मंदिर की प्रतिकृति भेंट किया जाना प्रतीकात्मक ही नहीं, बल्कि धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
स्थानीय पुजारी और निवासियों का कहना है कि जब ओंकारेश्वर मंदिर की प्रतिकृति पीएमओ कार्यालय तक पहुंचेगी, तो इससे इस क्षेत्र की पहचान देश और दुनिया के सामने और मजबूत होगी।
इस पहल से शीतकालीन पर्यटन, आस्था यात्राओं, और स्थानीय रोजगार को बड़ा प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
शीतकालीन यात्रा से बढ़ेगा रोजगार और पर्यटन
विधायक आशा नौटियाल (केदारनाथ) के अनुसार, “राज्य स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को ओंकारेश्वर मंदिर की प्रतिकृति भेंट किया जाना क्षेत्रवासियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। इससे न केवल पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।”
केदारनाथ घाटी, उखीमठ और मदमहेश्वर क्षेत्र हर वर्ष हजारों तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हैं। शीतकालीन यात्रा के दौरान भी यदि श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं, तो स्थानीय होटल, होमस्टे, दुकानें और परिवहन सेवाएं सक्रिय रहेंगी।
पिछले सप्ताह हुई तैयारी बैठक
पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ओंकारेश्वर मंदिर में शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के लिए अधिकारियों और पुजारियों से चर्चा की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि “शीतकालीन यात्रा को राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित किया जाएगा।”
इस बार की यात्रा को और अधिक भव्य और सुविधाजनक बनाने के लिए प्रशासन ने विशेष इंतज़ाम शुरू कर दिए हैं — जिनमें रोशनी, सड़क व्यवस्था, सुरक्षा बलों की तैनाती और श्रद्धालुओं के लिए आवास की सुविधा शामिल है।
शीतकालीन यात्रा: आध्यात्मिकता और आस्था का संगम
केदारनाथ धाम की तरह ही ओंकारेश्वर मंदिर भी दिव्य वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। जब बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ और मंदिर की घंटियों की ध्वनि मिलती हैं, तो पूरा उखीमठ क्षेत्र एक आध्यात्मिक तीर्थस्थल बन जाता है। यही कारण है कि लोग मानते हैं कि प्रधानमंत्री की शिरकत और मुख्यमंत्री की पहल से इस वर्ष की शीतकालीन यात्रा ऐतिहासिक रूप से सफल हो सकती है।
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