Kedarnath Floods: केदारनाथ आपदा के 9 साल,आज भी रोंगटे खड़े कर देती है त्रासदी की यादें, जानिए कैसे आई थी तबाही | Nation One
Kedarnath Floods: केदारनाथ धाम में 9 साल पहले त्रासदी की भयानक रात के जख्म आज भी लोगों मे जिंदा है।
बता दें कि आज ही दिन यानी 16 जून 2013 में केदारनाश मे रोंगटे खडे़ कर देने वाला हादसा हुआ था।
Kedarnath Floods: देश – विदेश के तीर्थयात्रियों ने आपदा में गंवाई जान
इस त्रासदी में लाखों श्रद्धालु और स्थानीय लोग लापता हो गए थे, जिनका आज भी पता नहीं लग पाया है।
घाटी मे बाबा केदार के दर्शन करने देश-विदेश से आए तीर्थयात्रियों ने आपदा में जान गंवाई थी।
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बता दें कि इस घटना ने भारत समेत पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। भारी बारिश, बाढ़ और पहाड़ टूटने से सब कुछ तबाह हो गया था । हालांकि उस समय पर भी चार धाम यात्रा अपने पूरे चरम पर थी।
वैसे तो 16 जून दिन के समय सब कुछ ठीक चलता रहा। लेकिन केदारनाथ में शाम ढल चुकी थी और बारिश जारी थी।
ऐसे शुरू हुआ त्रासदी का कहर
धाम के आसपास बहने वाली नदियां मंदाकिनी और सरस्वती उफान पर थी। मंदाकिनी की गर्जना डराने वाली थी।
अचानक पहाड़ों पर बादल फटने की जोर की आवाज आना शुरू हो गई। देखा जाए तो ये रात केदारनाथ के लिए भारी गुजरने वाली थी।
जानकारी के अनुसार 16 जून 2013 की रात करीब 8.30 बजे लैंडस्लाइड हुआ और मलबे के साथ पहाड़ों में जमा भारी मात्रा में पानी तेज रफ्तार से केदारनाथ घाटी की तरफ बढ़ा और बस्ती को छूता हुआ गुजरा। जिसमें न जाने कितने लोग बह गए।
लोगों का गूंज रही थी चीखें
जहां बाबा केदारनाथ की जय की गूंज थी, कुछ ही शनों मे लोगों की चीखें गूंज रही थी। जान बचाने के लिए लोग भाग रहे थे जैसे की पूरा केदारनाथ डूब रहा था।
मौत के खौफ से लोग घबराए हुए थे और सुबह का इंतजार करने लगे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उन्होंने सैलाब का पहला आघात झेला है, सुबह इससे भी ज्यादा भयानक कुछ होने वाला है। तबाही का सिलसिला सुबह होते-होते और तेज हो गया।
रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ की करीब नौ लाख आबादी आपदा से दहल उठी। सड़कें, पुल और संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गए। 13 नेशनल हाईवे, 35 स्टेट हाईवे, 2385 जिला व ग्रामीण सड़कें व पैदल मार्ग और 172 बड़े और छोटे पुल बाढ़, भूस्खलन और भारी बारिश में नष्ट हो गए।
पीएम मोदी ने संभाली कमान
लेकिन अपनी जान जौखिम मे लगाते हुए सेना व अर्द्ध सैनिक बलों ने 90 हजार लोगों को बचाया। जिसके बाद सर्च आपरेशन में करीब 555 कंकाल खोजे गए, जिनमें से 186 की पहचान हो सकी।
वहीं इस मंजर के एक साल बाद 2014 में केंद्र में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी। उसके बाद से ही यहां विकास कार्य भी शुरू हो गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम को सजाने संवारने में लगे हुए हैं। और उनका ड्रीम प्रोजेक्ट बन गया। केदारपुरी में अब काफी कुछ बदल गया है। लेकिन इतने वर्षों के बाद घटना के कई जख्म अभी भी हरे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को तेजी के साथ पूरा करने में लगे हुए हैं। लेकिन आज भी जब बारिश होती है तो उन खौफनाक यादों के रूप में त्रासदी के जख्म हरे हो जाते हैं।