
करवाचौथ: इस बार पूजा के लिए मिलेगा सिर्फ 1 घंटा 16 मिनट, इन नियम और सावधानियां का रखे ख्याल
करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है।
इस बार उपवास का समय 13 घंटे 56 मिनट का…
वहीं इस बार करवाचौथ 7 अक्तूबर को पड़ रहा है। इस बार उपवास का समय 13 घंटे 56 मिनट का है। वहीं करवा माता की पूजा के लिए 1 घंटे 16 मिनट का ही समय मिलेगा। इस बार करवाचौथ पर विशेष संयोग भी बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, करवाचौथ पर इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ 70 साल बाल मार्कंडेय योग बन रहा है। यह योग बहुत ही मंगलकारी है। करवाचौथ पर चतुर्थी माता और गणेश जी की भी पूजा की जाती है।
निर्जला रहने के अलावा भी करवा चौथ के व्रत के कई नियम हैं, जो इस प्रकार हैं:
- अगर आप व्रत कर रही हैं तो अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखें। कहते हैं कि अगर इस दिन क्रोध किया जाए तो व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
- व्रत की शुरुआत सरगी खाकर करें। सरगी सूर्योदय से पहले खानी चाहिए। जिस वक्त आप सरगी खाएं उस वक्त दक्षिण पूर्व दिशा की ओर मुख कर के ही बैठें।
- करवा चौथ पर दिन भर निर्जला व्रत रखा जाता है। यानी कि अन्न-जल के अलावा पानी पीने की भी मनाही होती है। सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं।
- कुंवारी लड़कियां तारों के दर्शन करने के बाद पानी पी सकती हैं।
- करवा चौथ के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। इस दिन सुहाग के रंग जैसे कि लाल, पीले और हरे रंग की साड़ी, सलवार सूट और लहंगे का सर्वाधिक चलन है।
- करवा चौथ के व्रत के दिन चांद को अर्घ्य देना बेहद जरूरी और शुभ माना गया है। इस दिन महिलाएं सबसे पहले छलनी पर दीपक रखती हैं। इसके बाद छलनी से पहले चांद को और फिर पति को देखती हैं। इसके बाद चांद को अर्घ्य दिया जाता है। आखिर में महिलाएं पति के हाथ से पानी पीकर और मिठाई खाकर अपना व्रत खोलती हैं।
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