जन्माष्टमी: जगमगाने लगे मंदिर, ऐसे करें व्रत और पूजन…
शिमला: श्री जन्माष्टमी का शुभ पर्व इस बार दो दिन मनाया जाएगा। जिसके चलते जन्माष्टमी पर्व के लिए राजधानी सजने लगी है। शिमला के सभी मंदिरों में जन्माष्टमी पर्व की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं। मंदिरों को बहुत ही सुंदर तरीके से फूल और लाइटों से सजाया जा रहा है। हालांकि जन्माष्टमी पर्व रविवार को मनाया जाएगा, लेकिन राजधानी में कार्यक्रम पहले ही शुरू हो गए हैं। राजधानी के सनातन धर्म मंदिर में जन्माष्टमी पर्व पर कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
रविवार को राधा-कृष्ण मंदिर गंज बाजार शिमला में सुबह आठ बजे से साढ़े आठ तक श्रृंगार आरती होगी। नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक संकीर्तन एवं भजन आयोजित किए जाएंगे। शाम सात बजे संध्या आरती होगी। इसके बाद कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। रात 12 बजे आतिशबाजी के साथ कृष्ण जन्म का उत्सव होगा।
इसी प्रकार राजधानी के अन्य मंदिरों में भी कार्यक्रम होंगे। शुक्रवार को भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया जाएगा। जन्माष्टमी पर्व के उपलक्ष्य पर राजधानी के बाजारों में वीरवार को खूब रौनक रही। लोगों ने पूजन के लिए फल व मिठाइयों खरीदी। बाजार में कान्हा के तरह-तरह के पालकी तथा वस्त्र व मूर्तियां उपलब्ध हैं।
अष्टमी तिथि दो और तीन सितंबर दोनों ही दिन रहेगी। इस वर्ष दो सितंबर को रात्रि आठ बजकर 46 मिनट से अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी और तीन सितंबर को अष्टमी तिथि सात बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं रोहिणी नक्षत्र का प्रारंभ दो सितंबर को रात्रि आठ बजकर 48 मिनट से होगा एवं तीन सितंबर को रात्रि आठ बजकर आठ मिनट पर रोहिणी नक्षत्र समाप्त होगा।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात को अष्टमी तिथि में हुआ था। दो सितंबर को ही रात को अष्टमी तिथि रहेगी, जिस कारण श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो सितंबर को मनाया जाएगा।सुबह स्नान करने के बाद सभी देवताओं को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर में मुख कर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत का संकल्प लें।
अक्षत यानी पूरे चावल के दानों पर कलश स्थापना कर माता देवकी और श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। इनकी विधि से पूजा करें। रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप प्रतिमा की पूजा करें। रात में श्रीकृष्ण स्तोत्र, गीता का पाठ करें। दूसरे दिन स्नान कर जिस तिथि एवं नक्षत्र में व्रत किया हो, उसकी समाप्ति पर व्रत पूर्ण करें।