जादुगुडा में 550 मीटर अंडरग्राउंड लैबोरेटरी बताएगी ब्रह्मांड का रहस्य
25 साल पहले भारत की एक महत्वपूर्ण लैब बंद होने से भौतिक विज्ञानियों के पास कोई ऐसी अंडर ग्राउंड लैबोरेटरी नहीं बची थी, जहां ब्रह्मांड में मौजूद उस तत्व (डार्क मैटर) का पता लगा सकें, जिसने पूरी आकाश गंगा को अपनी ग्रेविटी से बांधे रखा है। अब उनका यह इंतजार खत्म हो गया है और दो सितंबर यानि कल भारत जमीन की सतह से 550 मीटर नीचे साइंस लैबोरेटरी का उद्घाटन किया जा सकता है।
झारखंड के जादुगुड़ा में यूरेनियम की खदान में यह लैब शुरू होगी। जादुगुडा प्रयोगशाला का प्राथमिक उद्देश्य उस रहस्यमयी डार्क मैटर का पता लगाना है, जिसकी ग्रेविटी ने आकाश गंगाओं को एक साथ जोड़े रखा है। ग्रैनाइट रॉक से बने कमरों में स्थापित लैब को सब एटोमिक पार्टिकल्स की खोज के लिहाज से तैयार किया गया है।
1992 में कोलार गोल्ड फील्ड की लैब बंद होने के बाद से यह भारत की एक मात्र भूमिगत भौतिकी प्रयोगशाला बन जाएगी। कर्नाटक स्थित कोलार गोल्ड फील्ड में न्यूट्रिनो पार्टिकल एक्सपेरीमेंट और आब्जर्वेशन के लिए 1960 में पृथ्वी की सतह से 2.3 किमी. नीचे स्थापित लैब 1992 में बंद हो गई थी। साइंस में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इलिनोइस के बटविया स्थित फर्मी नेशनल एक्सेलेरेटर लैबोरेटरी के निदेशक निगल लॉकयर का कहना है, “यह भारत के लिए ब्रह्मांड के रहस्य को जानने में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का अच्छा समय है।
डार्क मैटर की खोज ने भौतिकविदों को धरती के नीचे अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया है। कनाडा की सडबरी न्यूट्रिनो ऑब्जर्वेटरी धरती की सतह से 2.1 किमी. नीचे स्थित है। भारतीय भौतिक विज्ञानियों को उम्मीद है कि वो अब महत्वाकांक्षी विदेशी प्रयोगशालाओं के साथ स्पर्धा कर सकेंगे। साइंस में परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन शेखर बसु के हवाले से कहा गया है कि वो जादुगुडा को उस लाइफ लाइन के तौर पर देखते हैं जो अत्याधुनिक शोध में लगे युवा विज्ञानियों के लिए संभावनाएं उपलब्ध कराएगी।
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि जादुगुड़ा से पहले साइंटिस्ट तमिलनाडु के मदुरै में पहाड़ के नीचे अंडर ग्राउंड लैबोरेटरी के प्रस्ताव पर काम कर रहे थे। मदुरै की ऑब्जर्वेटरी में सब एटोमिक पार्टिक्लस जिन्हें न्यूट्रिनो कहा जाता है, को स्टडी करना था। 1500 करोड़ के इंडियन न्यूट्रिनो आब्जर्वेटरी (आईएनओ) को 2015 में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई थी। इस प्रोजेक्ट का विरोध किया जा रहा है। एक्टीविस्ट का कहना है कि यह प्रोजेक्ट जल और क्षेत्र में स्थित बांध के लिए खतरा साबित होगा। मद्रास हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दाखिल याचिकाओं में आईएनओ को वन्य जीवन के लिए खतरा बताया गया।
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि गैलेक्सीज की एस्ट्रोनॉमिकल स्टडीज के अनुसार ब्रह्मांड में मौजूद 23 फीसदी मैटर अदृश्य डार्क मैटर है। जिस पर भौतिक विज्ञानियों ने अनुमान लगाया है कि यह सब एटोमिक पार्टिकल्स हो सकते हैं। दुनियाभर में वैज्ञानिकों के कई समूहों ने इस डार्क मैटर का पहचानने के प्रयास किए, लेकिन अभी तक यह पहली ही बना है।