इकबाल अंसारी फैसले से संतुष्ट, बोले पहले ही खत्म हो जाना चाहिए था केस | Nation One

अयोध्याः बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे मो. इकबाल अंसारी बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई कोर्ट के फैसले से पूरी तरह संतुष्टर हैं. उन्होंाने कहा कि, हम कोर्ट के फैसले का स्वाागत करते हैं. कहा, जब राम मंदिर के हक में फैसला आ गया था तभी यह मामला खत्मह हो गया था. बस फैसला सुनाना बाकी था. यह फैसला तो बहुत पहले ही आ जाना चाहिए था.

उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वह उच्चतम न्यायालय के निर्णय की तरह विशेष अदालत के फैसले का भी सम्मान करें. कहा, ‘हम चाहते हैं कि हमारे देश में हिन्दू- मुसलमान का विवाद न रहे. जो लोग देश को तोड़ना चाहते हैं, वे ही विवाद बनाये रखने की कोशिश करते हैं. अयोध्या में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई में कोई मतभेद नहीं है. यही माहौल पूरे देश में होना चाहिये.

आपको बता दें कि बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई कोर्ट के स्पेशल जज एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी ढांचा ध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. घटना अकस्मात हुई, पूर्व नियोजित नहीं थी. अशोक सिंघल के खिलाफ साक्ष्य नहीं है. सीबीआई कोर्ट ने सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.

फैसले के बारे में पूछे जाने पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे मो. इकबाल अंसारी ने कहा, ‘अच्छी बात है, सबको बरी कर दिया गया. वैसे जो कुछ भी होना था वह पिछले साल नौ नवम्बर को हो चुका है. यह मुकदमा भी उसी दिन खत्म हो जाना चाहिये था.

इस तरह गर्भगृह में वापस लाए जा सके, रामलला

ढांचा में तोडफ़ोड़ शुरू होते ही रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास रामलला को गर्भगृह से लेकर बाहर आ गए थे और पास ही स्थित नीम के पेड़ के नीचे उन्हें स्थापित किया गया. रामलला करीब सात घंटे तक पेड़ के नीचे रहे और ढांचा ढहाये जाने और भूमि समतलीकरण के बाद रामलला वापस गर्भगृह में लाए जा सके. वे कहते हैं, पुजारी के रूप में मेरे लिए वह दृश्य दुखद था पर, आज मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ उतना ही सुख मिल रहा है.

कारसेवकों को नहीं थी किसी की परवाह

छह दिसंबर, 1992 की घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे रामजन्मभूमि के ही बगल स्थित रंगमहल के महंत रामशरणदास के अनुसार, कारसेवक आक्रोशित थे और वे किसी की परवाह किए बगैर ढांचा गिरा देने पर तुले हुए थे. यहां तक कि विहिप के कुछ नेताओं ने उन्हें रोकने का प्रयास किया पर, वे रुके नहीं. पहले तो वे संगीनधारी अर्धसैनिक बल के जवानों से डरे बिना ढांचा की ओर बढ़े ओर उसके बाद ढांचा गिराने के लिए जान पर खेल गए.