कृषि मेले में काश्तकारों को खेती की उन्नतशील तकनीकों की दी जानकारी
विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से हवालबाग में आयोजित खरीफ कृषि मेले में काश्तकारों को खेती की उन्नतशील तकनीकों की जानकारी दी गई। मेले का उद्घाटन डीएम ईवा आशीष श्रीवास्तव ने किया। उन्होंनें संस्थान की ओर से पर्वतीय कृषि पर किए जा रहे शोध की सराहना करते हुए उन्होंने प्रयोगशालाओं के शोध कार्यों का लाभ दूरदराज ग्रामीण क्षेत्र के किसानों तक पहुंचाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि संस्थान की ओर से अंगीकृत भगरतोला गांव की तरह ही अन्य गांवों को गोद लेकर उन्हें आदर्श गांव में बदलने की जरूरत जताई। डीएम ने कहा कि पर्वतीय कृषि के विकास के लिए मंडी एवं विपणन व्यवस्था का होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि कृषि के बिना गांव की कल्पना नहीं की जा सकती है।
इस मौके पर उन्होंने संस्थान के प्रकाशन कृषि कलेंडर एंव “मक्का उत्पादन की उन्नत तकनीकी” और “कृषि प्रसंस्करण केन्द्र पर्वतीय क्षेत्रों में ग्रामीण रोजगार हेतु एक बेहतर विकल्प” का विमोचन किया। उन्होंने दो मक्का प्रजातियों नामतः केन्द्रीय मक्का वीएल 55 एवं केन्द्रीय मक्का वीएल बेबीकार्न 2 का लोकार्पण किया। डीएम ने प्रगतिशील किसान बागेश्वर की काफलीगैर निवासी कमला रौतेला को पुरस्कृत किया।
संस्थान के कार्यवाहक निदेशक डा. लक्ष्मी कांत ने संस्थान के शोध कार्यों और नई तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष संस्थान ने पर्वतीय क्षेत्र के लिए 10 नई किस्में तैयार की हैं जिनमें छह प्रजातियां जैविक खेती के लिए हैं। उन्होंने बताया कि इस संस्थान की ओर से कुरमुला नियंत्रण के लिए विकसित वीएल व्हाईट ग्रब लाईट ट्रैप को पेटेन्ट प्राप्त हुआ है।
संस्थान को स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सौ से अधिक संस्थानों में तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। कृषि मेले के दौरान 30 प्रदर्शनियां लगाई गई। इस मौके पर मुख्य कृषि अधिकारी प्रियंका सिंह, मुख्य उद्यान अधिकारी हितपाल सिंह, आईटीबीपी के सहायक कमांडेंट जेसी पांडे, डिबेर संस्थान पिथौरागढ़ के कर्नल संजीव भल्ला, वैज्ञानिक डा. निर्मल चंद्रा, डा. जेके बिष्ट, डा. शेर सिंह, मनोज कुमार सहित कई लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन कुशाग्रा जोशी ने किया।
वीपीकेएएस ने अपनाया 35 गांवों को
संस्थान ने प्रभारी निदेशक डा. लक्ष्मी कांत ने बताया कि मेरा गांव मेरा गौरव योजना के तहत 35 गांवों को अपनाया गया है। उन्होंने कहा कि संस्थान किसानों की आय दोगुनी करने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। इस वर्ष संस्थान ने 41 हेक्टेयर क्षेत्र में 447 किसानों के खेतों में अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन का कार्य किया है।