अगर आप निकले है केदारनाथ के दर्शन करने तो इन मंदिरों के भी दर्शन करना ना भूले…
चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है। ऐसे में अगर आप भी इस साल चारधाम यात्रा कर रहे हैं तो हम आपको बता रहे हैं कि चारधामों के अलावा आप रास्ते में किन -किन मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं।
बसुकेदार
बसुकेदार मंदिर पांडवों द्वारा बनवाया गया था। अपनी चित्रकारी और सुंदर चित्रकलाओं के माध्यम से यह मंदिर एक हजार वर्ष पुराना प्रतीत होता है। अस्तमुनि से 35 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर एक अलग ही नजारा पेश करता है। यह जगह एक दम शांत है इसके कारण अधिकांश लोग यहां पर ध्यान और योग की साधना करते हैं।
कार्तिकेय मंदिर
भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय के दर्शन करने से अपार बुद्धि और बल क्षमता प्राप्त होती है। रूद्रप्रयाग से पोखरी की ओर जाते हुए 38 किलोमीटर की दूरी पर बना यह मंदिर बेहद ही खूबसूरत है। मंदिर के आस -पास चारों ओर बर्फ से ढकी चोटिया एक खूबसूरत नजारा पेश करती है।
त्रियुगी नारायण मंदिर
केदारनाथ यात्रा के दौरान रूद्रप्रयाग जिले में स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस स्थान पर भगवान शिव और माता सती का विवाह हुआ था। जिसके सक्ष्य भगवान विष्णु थे। भगवान शिव के विवाह मंडप की अग्नि आज तक शांत नहीं हुई है। यह अग्नि कुंड यहां का विशेष आकर्षण है। मान्यता है कि अगर किसी के विवाह में कोई आपत्ति पड़ रही हो तो इस मंदिर के दर्शन से सारी आपत्तियां दूर हो जात है।
चामुण्डा देवी मंदिर
केदारनाथ के रस्ते में स्थित यह एक छोटा सा मंदिर है जो कि स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह मंदिर भी अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है । इस मंदिर में भगवान रूद्र की पत्नी चांमुडा के रूप में यहां पर पूजी जाती है। माँ चामुण्डा की पूजा करने से स्त्रियों को सदा सुहागन होने का सुख प्राप्त होता है।
रुद्रनाथ मंदिर
केदारनाथ धाम के रास्ते में रूद्रप्रयाग जिले में यह रूद्रनाथ मंदिर अपने आप में एक अलग महत्व रखता है। यहा मंदिर अलकनंदा और मंदिकिनी नदी के संगम पर स्थित है। इस स्थान पर नारदमुनि ने भगवान शिव से संगीत सीखने के लिए तपस्या की थी। इस स्थान पर एक नारद शिला भी बनी हुई है जो कि लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
कोटेश्वर मंदिर
कोटी अर्थात करोड़। यह मंदिर छोटी-छोटी करोड़ो गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि अब यहां पर एक ही मुख्य गुफा है लेकिन इस गुफा के अंदर आज भी कई सारी छोटी छोटी गुफाएं बनी हुई है। जहां पर भगवान शिव की विशेष पूजा होती है।
तुंगनाथ
तुंगेश्वर महादेव मंदिर (फलासी) चोपटा के पास स्थित है। इस मंदिर के पास पांडवों ने तपस्या की थी। इसके कुछ अवशेष आज भी इस मंदिर के पास देखे जा सकते हैं। मंदिर की दीवारों पर टेराकोटा से बनी शिव पार्वती व जवानों की कलाकृतियां आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है।