Uttarakhand में मिला विशाल बेनाम ग्लेशियर, हर साल असाधारण रूप से बढ़ रहा | Nation One
Uttarakhand : एक तरफ जहां ग्लेबल वार्मिंग की वजह से दुनियाभर में ग्लेशियर पिघल कर सिकुड़ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में एक ऐसा बेनाम ग्लेशियर है जो इस गर्म होते इनवायर्मेंट में पिघलने के बजाय साल दर साल बढ़ता जा रहा हैं। लेकिन क्या है इस बढ़ते हुए ग्लेशियर की सच्चाई?आइए जानते हैं इस आर्टिकल में।
Uttarakhand : चमोली के धौलीगंगा बेसिन में मौजूद है ये बेनाम ग्लेशियर
48 वर्ग किमी में फैला ये खास ग्लेशियर चमोली के धौलीगंगा बेसिन में मौजूद है। दरअसल हाल ही में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी के ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष मेहता की टीम का एक रिसर्च पेपर पब्लिश हुआ। जिसमें इस हैरान कर देने वाले ग्लेशियर का जिक्र किया गया है। उत्तराखंड के सिमांत नीती दर्रे के करीब मौजूद इस ग्लेशियर का उद्गम तो भारत में है। लेकिन ये ग्लेशियर बहता तिब्बत की तरफ है।
Uttarakhand : असाधारण रूप से बढ़ रहा है ग्लेशियर
शोध में ये सामने आया की ये ग्लेशियर असाधारण रूप से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। साल 2001 तक इस ग्लेशियर के बढ़ने की स्पीड 7 मीटर प्रति साल थी। लेकिन उसके बाद इसके बढ़ने की स्पिड 163 मीटर प्रति साल हो गई है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अध्ययन में ग्लेशियर का एरिया बढ़ने के पीछे दो अहम वजहें हो सकती हैं।
Uttarakhand : क्या है ग्लेशियर के बढ़ने की वजह?
एरिया बढ़ने के पीछे दो अहम वजहें है, जिसमें Hydrological Pressure Melting यानी टेंपरेचर बढ़ने की वजह से ग्लेशियर बेसिन में पानी ग्लेशियर के बेस में चला जाता है, जिससे ग्लेशियर फिसलने लगता है और आगे बढ़ जाता है।
इसके अलावा दूसरी जियोलॉजिकल वजह भी हो सकती है। जिसका मतलब है कि जब जियोलॉजिकल कंडीशन की वजह से ग्लेशियर के नीचे मौजूद रॉक्स पर कुछ तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, तो ग्लेशियर आगे खिसक जाते हैं।
Uttarakhand : बेनाम ग्लेशियर हिमालय में खतरे की घंटी!
हालांकि इसकी सही वजह अब तक किसी को पता नहीं चल पाई है। वैज्ञानिकों का कहना है की ग्लेबल वार्मिंग के चलते आगे बढ़ने वाले ग्लेशियर काराकोरम औऱ अलास्का में पहले पाए जा चुके हैं। लेकिन हिमालयी इलाके में मिलने वाला ये पहले ग्लेशियर है।
लिहाजा वैज्ञानिक अभी तक इसका कुछ नाम नहीं रख पाए हैं तो लोग इसे बेनाम ग्लेशियर भी कह रहे हैं। ये बेनाम ग्लेशियर जो लगातार बढ़ता जा रहा है ये हिमालय में एक खतरे की घंटी साबित हो सकता है क्योंकि अगर ये ग्लेशियर अपनी जगह से और आगे खिसका तो ये फरवरी 2020 में आई रैणी आपदा से बढ़ी आपदा को न्यौता दे सकता है।
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