Agneepath Scheme : देशभर में केंद्र सरकार द्वारा लाई गई अग्निपथ योजना के तहत राज्यों में जमकर बवाल देखने को मिला था। इसी योजना के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में 23 याचिका दायर की गई थी। आज इस योजना पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। साथ ही कहा कि इस योजना में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नजर नहीं आती है।
दिल्ली उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि योजना को राष्ट्रीय हित में पेश किया गया था और इस योजना में हस्तक्षेप करने का कोई वैध कारण नहीं मिला है। अग्निपथ योजना को चुनौती देने के साथ-साथ भर्ती प्रक्रियाओं पर रोक लगाने के लिए देश भर के उच्च न्यायालयों में कई याचिकाएं दायर की गईं।
सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इन सभी मामलों को दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया। पिछले वर्ष दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने 15 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Agneepath Scheme : क्या है अग्निपथ योजना
पिछले वर्ष 14 जून को अग्निपथ योजना को लाया गया था। केंद्र सरकार के अनुसार अग्निपथ योजना को सशस्त्र बलों में सबसे दूरगामी सुधारों में से एक माना जाता है और इसकी शुरूआत में देश के कई हिस्सों में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना में शामि होने की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों द्वारा जमकर विरोध किया गया था।
इस योजना में चार साल के लिए युवा उम्मीदवार अस्थायी रूप से भारतीय सेना में नियुक्त किए जाएंगे। ऐसे युवा अग्निवीर के नाम से जाने जाएंगे। चार साल का समय पूरा होने के बाद चुने गए उम्मीदवारों में से केवल 25 प्रतिशत को ही सशस्त्र बलों की नियमित सेवा करने का अवसर मिलेगा, जबकि बाकी उम्मीदवारों को रिटायर कर दिया जाएगा। अग्निवीर के रूप में जब तक उम्मीदवार शामिल रहेंगे, उनकी सेवा को नियमित तौर पर नहीं गिना जाएगा।
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