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हरियाणा: कमजोर विपक्ष के सहारे ‘मनोहर’ करेंगे चुनावी वैतरणी पार!
धीरज शर्मा (हरियाणा)
चंडीगढ: एक ओर जहां पूरे देश में 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ी है, वहीं दिल्ली से सटे हरियाणा में इससे एकदम उल्टी परिस्थितियां बनी हुई हैं। मुख्य विपक्षी दल इनैलो पारिवारिक कलह के चलते टूट के कगार पर है, वहीं कांग्रेस की भीतरी कलह और सिर फुटव्वल हमेशा की तरह आज भी बा-दस्तूर जारी है। सत्तासीन भाजपा के लिए इससे मनोहरी स्थिति और क्या हो सकती है?
पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति…
मोदी लहर पर सवार होकर हरियाणा में पहली बार अपने बलबूते सत्तारूढ़ हुई भाजपा के लिए आज विपक्ष नाम की कोई चुनौती ही नहीं है, पिछले 15 वर्ष: से राजनैतिक वनवास काट रही इनैलो पारिवारिक कलह के चलते आज हाशिए पर है। पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में हैं, हालात ऐसे हो गए हैं कि जैसे कोई बड़ा जहाज बगैर कप्तान के भयंकर तूफान के बीच मझदार में फंस गया हो।
एक ओमप्रकाश चौटाला और दूसरे भूपेन्दर सिंह हुड्डा, जिनमें…
इनैलो का पांरम्परिक वोट बैंक जाट मतदाता माना जाता है, जो आज उहापोह की स्थिति में है, प्रदेश में दो ही जाट नेता माने जाते हैं। एक ओमप्रकाश चौटाला और दूसरे भूपेन्दर सिंह हुड्डा, जिनमें से एक ओमप्रकाश चौटाला जेबीटी घोटाले के आरोप में जेल की सजा काट रहे हैं ।
संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं कि दो भागों…
चौधरी ओमप्रकाश चौटाला की ग़ैरमौजूदगी में इनैलो नेतृत्वहीन है, चाचा भतीजे की महत्वाकांक्षा ने पार्टी का बंटाधार कर दिया है, पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई चरम पर है। ऐसी परिस्थितियों में निश्चित तौर पर 15 वर्ष: से सत्ता से बाहर चल रही इनैलो का सत्ता वापसी का सपना, सपना ही रह जाएगा। संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं कि दो भागों में बटा जाट मतदाता छिटक कर भूपेन्दर सिंह हुड्डा के पाले में जा सकता है, क्योंकि किसी भी सूरत में जाट समुदाय सूबे में जाट मुख्यमंत्री की चाहत रखता है।
हरियाणा कांग्रेस के अंदरूनी हालात भी ठीक…
4 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रदेश का यह सबसे ताकतवर समुदाय खट्टर को मुख्यमंत्री के तौर पर बर्दाश्त नही कर पा रहा है, तो ऐसे में इनेलो के हाशिए पर जाने से प्रबल संभावना है। जाट मतदाता के पास हुड्डा के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हरियाणा कांग्रेस के अंदरूनी हालात भी ठीक नहीं हैं, प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और हुड्डा की खींचतान अखबारों की सुर्खियां बन रही है। कांग्रेस के भीतर ही छोटे-छोटे धड़े पनप रहे है।आलम यह है कि स्मारिक दृष्टिकोण से छोटे पर राजनैतिक रुप से महत्वपूर्ण इस राज्य में कांग्रेस आलाकमान की इच्छाशक्ति भी दम तोड़ देती है।
आज पार्टी का कोई बड़ा चेहरा तंवर के साथ खड़ा..
प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर पार्टी के लिए कडा पसीना बहा रहे हैं। परन्तु उनका व्यक्तिगत कोई ऐसा चमत्कारी नहीं है कि लोग खुद-बा-खुद खींचे चले आएं। तंवर में नेतृत्व क्षमता का नितार्त अभाव नजर आता है। आज पार्टी का कोई बड़ा चेहरा तंवर के साथ खड़ा नजर नहीं आता है । अनुभवहीन लोगों की टीम लेकर तँवर पार्टी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं, ऐसे लोग तंवर की टीम में हैं जिनका कोई जनाधार ही नहीं है। दूसरी ओर हुड्डा और कुलदीप बिश्नोई जैसे जनाधार वाले नेताओं की अनदेखी दिनों-दिन पार्टी को कमजोर करने का काम कर रही है।
यही कारण है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में…
बीजेपी के लिए यह स्थिति बेहद सुखद कही जा सकती है कि मुख्य विपक्षी दल टूट के कगार पर है और कांग्रेस के भीतर ही वर्चस्व की लड़ाई चरम पर है। कांग्रेस में जनाधार वाले नेता हाशिए पर हैं। यही कारण है कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उत्साह की जबरदस्त कमी देखी जा रही है।
फिलहाल सूबे की वर्तमान राजनीति के परिवेश में यह कहना…
यह तो तय है कि हरियाणा का मतदाता इस बार जाट- गैरजाट के दो भागों में बटा हुआ है। गैरजाट मतदाता पर बीजेपी ने अपना दावा ठोक दिया है, कांग्रेस फिलहाल प्रदेश में सही नेतृत्व देने में नाकाम दिख रही है, ना तो जाट और ना ही गैरजाट लीडरशीप का बड़ा चेहरा कांग्रेस सामने ला पा रही है तो आखिर किस चेहरे के सहारे हरियाणा में कांग्रेस बीजेपी का सामना करेगी। यह पश्र आम जनमानस के सामने मुंह बांए खडा है।
फिलहाल सूबे की वर्तमान राजनीति के परिवेश में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कमजोर विपक्ष के सहारे मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दोनों हाथों में लड्डू हैं। अगर आने वाले समय में भी यही स्थिति रही तो मनोहर लाल के नेतृत्व में 2019 में चुनावी वैतरणी पार लगाना कोई कठिन कार्य नहीं होगा।