उत्तराखंडः हरीश रावत से दिग्गजों का किनारा !
देहरादून
चुनाव में करारी हार के बाद अपना सियासी वजूद बचाने में लगे हरीश रावत का दबाव झेलने को अब प्रदेश कांग्रेस के नेता तैयार नहीं दिख रहे हैं। अब प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा और पूर्व अध्यक्षों ने आपस में हाथ मिला लिए हैं। एक बैठक में कांग्रेस के नेताओं ने भविष्य की रणनीति भी तैयार कर ली है।
सत्ता में रहते सरकार और संगठन पर एकछत्र राज करने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद सियासी वजूद बचाने की जद्दोजेहद में हैं। कभी गैरसैंण में धरना दे रहे हैं तो कभी हरिद्वार में तप करके मीडिया में बने रहने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब लग रहा है कि प्रदेश कांग्रेस के हरीश रावत को और तरजीह देने के मूड में नहीं हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान का ध्यान भी अब हरीश रावत से हट रहा है।
कुछ दिन पहले एक होटल में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के बीच लंबी मंत्रणा हुई। बैठक के दौरान विधानसभा चुनाव में हार के कारणों पर मंथन किया गया। बताया जा रहा है कि हार के लिए पूरी तरह से हरीश रावत को ही जिम्मेदार माना गया। सूत्रों ने बताया कि अब तय कर लिया गया है कि आने वाले समय में संगठन को चलाने में हरीश रावत को अधिक तरजीह नहीं जाएगी। सूत्रों ने बताया कि अब मौजूदा और पूर्व अध्यक्ष की राय से ही लोकसभा चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाएगा। संगठन के पदों पर भी इन्हीं नेताओं की राय से कार्य़कर्ताओं को तरजीह दी जाएगी। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बैठक ने नतीजे आने वाले समय में क्या सियासी रंग दिखाते हैं और कभी एकछत्र राज करने वाले हरीश रावत की अगली रणनीति क्या रहती है।
अहम बात यह भी है कि नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा ह्रदयेश अपने तेवर पहले ही दिखा चुकी है। सदन में नेता प्रतिपक्ष ने बे-बाकी से यह स्वीकार करके हरीश को कटघरे में खड़ा किया था कि चुनाव के वक्त जाब कार्ड बांटना पिछली सरकार की गलती थी। इसके अलावा भी सदन में कई मुद्दे ऐसे उठाए गए, जो कि हरीश सरकार के समय के थे। सत्ता पक्ष ने इस बात को उठाया तो कांग्रेसी खेमे से कहा गया कि सरकार किसी की रही हो। अगर कुछ गलत हुआ है तो उसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।