कोविड 19 महामारी के खतरे को देखते हुए हरिद्वार महाकुंभ का आयोजन सीमित और कम अवधि का होगा। हरिद्वार कुंभ की अवधि अब अप्रैल में करीब दो सप्ताह तक ही सीमित रह सकती है। इसमें तीन शाही स्नान पड़ रहे हैं, इससे पूर्व के शेष सभी स्नान बिना नोटिफिकेशन के सम्पन्न होंगे।
मंगलवार को कुंभ पर विचार विमर्श करने के लिए कैबिनेट बैठक से पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में मंत्रीपरिषद की बैठक आयोजित की गई। बैठक में शहरी विकास विभाग ने 27 फरवरी से मेला कुंभ शुरू करने का प्रस्ताव रखा।
बैठक में विचार आया कि मेला नोटिफिकेशन के साथ ही केंद्र सरकार की गाइडलाइन लागू हो जाएंगी। जिस कारण श्रद्धालुओं की आवाजाही पर तमाम बंदिशें लागू हो जाएंगी। इसलिए अधिकारिक कुंभ मेला की अवधि सीमित रखी जाए।
अभी तक कुंभ मेले की समयावधि 60 दिन की मानी जा रही थी। राज्य सरकार ने भी केंद्र को जो प्रस्ताव भेजा था, उसमें 27 फरवरी से 30 अप्रैल तक कुंभ मेले के आयोजन का उल्लेख था। लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कुंभ 48 दिन का हो सकता है।
कुंभ में कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से फरवरी के पहले हफ्ते में बात करेंगे। वह राज्यों से कुंभ मेले में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति सुनिश्चित करने के संबंध में सहयोग की अपील करेंगे।
कुंभ मेले के दौरान श्रद्धालुओं को लाने के लिए विशेष रेलगाड़ियां (स्पेशल ट्रेन) नहीं चलाने का आग्रह किया जाएगा। राज्य सरकार रेल मंत्रालय को पत्र भेजकर यह अनुरोध करेगी। राज्य सरकार चाहेगी कि रेल मंत्रालय श्रद्धालुओं को लाने के स्थान पर श्रद्धालुओं को कुंभ मेले से ले जाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाए। साथ ही मुख्य स्नान से एक दिन पहले कोई स्पेशल ट्रेन न चलाई जाए।