हरेला 2020 : आज उत्तराखंड मे बंद रहेंगे सभी सरकारी दफ्तर, रोपे जाएंगे 10 लाख पौधे | Nation One
आज हरियाली के पर्व हरेला के मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज पौधे रोपण कर अभियान की शुरूआत की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने आवास से और राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राजभवन से हरेला अभियान की शुरुआत की। सबसे पहले मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर पौधा लगाया। इसके बाद उन्होनें नालापानी क्षेत्र में पौध रोपण किया।
वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों से हरेला पर्व से जुड़ें रहने और एक पौधा अवश्य लगाने को कहा। उन्होनें सोशल मिडिया के द्वारा एक वीडियो शेयर करा जिस्में वह हरेला से जुड़े रहने का संदेश दे रहें हैं। इस वीडियो मे वह अपने संस्कार, परंपरा और प्रकृति के बारे में बोलते नजर आऐं।
बता दें कि आज हरेला पर्व पर वन विभाग ने करीब 7.5 लाख पौधे लगाएगा। जबकि पौधे उद्यान विभाग की ओर से करीब 2.5 लाख लगाए जाएंगे। आज कितने पौधे लगाए गए इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है।
देहरादून में बनेगा रिकॉर्ड
हरेला पर्व पर देहरादून में आज रिकॉर्ड बनेगा। जिले में आज एक घंटे में 2.75 लाख पौधे रोपे जाएंगे। इस अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रायपुर के अस्थल गांव में बरगद का पौधा लगाकर कि है। वहीं इस अभियान के तहत पूरे जिले में सुबह 9 से 10 बजे तक पौधे रोपे गए।
बता दें की दो साल पहले हरेला पर्व पर 22 जुलाई 2018 को देहरादून के रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान के तहत दो लाख पौधे लगाए गए थे। इस बार कोरोना काल के चलते एक घंटे में 2.75 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था।
उत्तराखंड में क्या क्या बंद रहेगा
आज हरेला त्यौहार के मौके पर उत्तराखंड में सभी सरकारी दफ्तर बंद रहेगे। वहीं मुख्यमंत्री ने आज सभी को एक पौधा लगाने की सलाह दी है।
हरेला से जुड़ी कुछ खास बातें
हरेला कुमाऊं मंण्ल का त्यौहार है। वहीं हरेला के साथ कुमाऊं में श्रावण मास और वर्षा ऋतु का भी आरंभ हो जाता है। जी रये जागि रये, यो दिन-बार भेटनै रये। धरती जस अगाव, आकाश जस चकव होये, सियक जस तराण, स्यावे जसि बुद्धि हो। दूब जस पंगुरिये। हिमालय में ह्यो, गंगा में पाणी रौन तक बचि रये..। इसी आशीर्वचन के साथ कुमाऊं भर के घरों में हरेला पूजन किया जाता है।
एक शाम पहले ही कुमाऊं के घरों में मिट्टी के शिव, पार्वती, गणेश बनाकर डेकर पूजन की परंपरा निभाई जाती हैं। हरेले को पांच, सात या नौ अनाजों को मिलाकर नौ दिन पहले दो बर्तनों में बोया जाता है। जिसे मंदिर के कक्ष में रखा जाता है। दो से तीन दिन में हरेला अंकुरित होने लगता है। सूर्य की सीधी रोशन से दूर होने से हरेला यानी अनाज की पत्तियां पीला रंग लिए होती हैं।
नेशन वन से दीक्षा नेगी की रिपोर्ट