विश्व गुरु बनने को अपनानी होगी गुरुकुलीय शिक्षा: आर्यवेश

आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश ने कहा है कि अगर देश को पुनः विश्व गुरु बनाना है तो हमें गुरुकुलीय शिक्षा अपनानी होगी। यह बात उन्होंने रविवार को गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के 111वें वार्षिकोत्सव समारोह में कही। कहा कि इस संस्था से बड़े-बड़े विद्वान निकले हैं। गुरुकुल जितने आगे बढ़ेंगे उतनी ही वैदिक शिक्षा आगे बढ़ेगी।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. त्रिलोक चन्द्र ने कहा कि योग के दो उपयोग हैं, शास्त्रीय उपयोग और वर्तमान में व्यवहारिक उपयोग। गुरुकुल कण्डवाश्रम के संस्थापक विश्वपाल जयन्त ने कहा कि योग हमको अनुशासन सिखाता है। सम्मेलन में ओमपाल वैद्य, गोविंद सिंह भंडारी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक यज्ञ से की गई।

यज्ञ से होता है मानव का कल्याण

संस्था के कुलाधिपति एवं पूर्व सांसद प्रो. रासा सिंह रावत ने वैदिक मंत्रोच्चारण कर कहा कि यज्ञ साक्षात ब्रह्म हैं। यज्ञ से वर्षा होती है और वर्षा से अन्न की उत्पत्ति होती है। विधायक एवं संस्था मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द ने कहा कि यज्ञ के धुएं से पर्यावरण में रहने वाले विषाणु नष्ट हो जाते हैं और पर्यावरण स्वच्छ रहता है। डॉ. अशोक कुमार आर्य और आचार्य वेदप्रकाश शास्त्री ने कहा कि प्राचीन समय में भी राजा अपनी प्रजा की रक्षा के लिए यज्ञ का आयोजन करते थे। संस्था के कुलपति डॉ. हरिगोपाल शास्त्री ने कहा कि यज्ञ से मानव का कल्याण होता है।

इस अवसर पर डॉ. सत्येन्द्र अमोली, योगेंद्र सिंह चैहान, क्षेत्रपाल सिंह चैहान, डॉ. सत्यदेव गुप्ता, अनिल गोयल, राजेश गोयल, आचार्य हेमन्त तिवारी, यशपाल सैनी, घनश्याम सिंह, प्रदीप चैहान, राजेश चैहान, डॉ. अजय कौशिक, डॉ. राधेश्याम कौशिक, राकेश आर्य, धर्म सिंह आर्य, ब्रह्मानन्द आर्य, माम चन्द्र आर्य आदि शामिल थे।

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