राजीव रावत
उत्तराखंड की वीरगंना तीलू रौतेली के नाम पर हर साल बटने वाले पुरस्कारों की खबर तो आप जरूर देखते पढ़ते होंगे। लेकिन तीलू रौंतेली की जीवन गाथा अगर समझनी हो तो गवाह बनिए उस ऐतिहासिक पल का जब तीलू के मायके यानि गोर्ला रावतो के गांव गुराड़ में तीलू कथा का मंचन शुरू होगा।
उनकी रीड्ड की हड्डी में फ्रेक्चर है बावजूद इसके भी…
उत्तराखंड के नामी गिरामी कलाकरों के द्वारा मंचित इस नाटिका की नायिका वसुंधरा नेगी 2 अगस्त से घायल है। उनकी रीड्ड की हड्डी में फ्रेक्चर है बावजूद इसके भी वो दिन रात तैयारी में जुटी है। कत्यूरी राजाओं के आक्रमण में तीलू ने अपने पिता, मंगेतर और दोनों भाइय़ों को महज 12 साल की उम्र में खो दिया था। उसने देश की आजादी के लिए झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की तरह रण कौशल हासिल किया। पुरूषों की वेशभूषा धारण कर उसने अपनी सहेलियों के साथ मिलकर सेना बनानी शुरू की और पुराने सैनिकों को लाम्बध करके 15 साल की उम्र में ही दुश्मनों के खिलाफ जंग शुरू की ।
कालिंकाखाल और सरायुखेत में हुए घमासान युद्ध को जीतने…
कत्यूरी वंश के शासको से तीलू ने पहले खैरागढ़ को मुक्त कराया फिर सल्ट महादेव को आजाद कराने के बाद चौखुटिया से भी दुश्मनों को खदेड़ दिय़ा। कालिंकाखाल और सरायुखेत में हुए घमासान युद्ध को जीतने के बाद जब इस विरांगना ने अपने राज्य को वापस पा लिया तो एक जलधारा में उसने विश्राम किया। यहीं जलधारा में उसके बालों को देखकर एक कत्यूरी सैनिक को पता चला की उन्होने एक महिला से करारी हार पायी है। कहते हैं कि जलधारा के पास पड़े तीलू की तलवार को उठकार उसने धोके से पानी पी रही तीलू की गर्दन पर वार कर दिया। इस विरागंना की कथा का जीवंत मंचन हो रहा है गुराड़ गांव में। आप भी इसका हिस्सा बनिए।