वेतन देने के लिए 300 करोड़ का कर्ज लेगी सरकार
चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में दाखिल होते ही राज्य सरकार को अपने कार्मिकों के वेतन-पेंशन के लिए बाजार के शरणागत होना पड़ा है। जून के पहले हफ्ते में 300 करोड़ उधार लेने के आदेश जारी किए गए हैं। इस वित्तीय वर्ष में कर्ज बढ़कर 1400 करोड़ हो जाएगा। वहीं प्रदेश के हर व्यक्ति पर बाजार की उधारी बढ़कर 45 हजार से ज्यादा हो गई है।
राज्य सरकार को हर महीने अपने कार्मिकों के वेतन और पेंशन के खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए धन का बंदोबस्त करने में खासा पसीना बहाना पड़ रहा है। इस वित्तीय वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों अप्रैल और मई माह में तकरीबन 1100 करोड़ रुपये कर्ज लिया जा चुका है।
तीसरे महीने यानी जून में प्रवेश करते ही फिर कर्ज लेने की नौबत है। 300 करोड़ रुपये कर्ज के लिए सरकार ने बाजार में दस्तक दे दी है। आमदनी कम और खर्चा ज्यादा होने से राज्य की माली हालत हर साल खराब हो रही है। इस वजह से कर्ज का बोझ साल-दर-साल बढ़ रहा है। राज्य बनने के वक्त राज्य के हिस्से में 4430.04 करोड़ कर्ज आया था।
चालू वित्तीय वर्ष तक यह ऋण 45 हजार करोड़ से ज्यादा
राज्य के जन्म के साथ मिला यह कर्ज वित्तीय वर्ष 2016-17 में 40793.70 करोड़ होने का अनुमान बजट आंकड़ों में लगाया गया था, जो 31 मार्च, 2017 तक लोक ऋण 35209.59 करोड़ पहुंच गया। चालू वित्तीय वर्ष तक यह ऋण 45 हजार करोड़ से ज्यादा पहुंच रहा है। हालांकि चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में कर्ज की यह राशि 47580.42 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। वित्त सचिव अमित नेगी ने 300 करोड़ कर्ज लेने के आदेश जारी किए हैं।