ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच साधारण नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से धुआं रहित इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई जाएगी। प्रदूषण नियंत्रण व पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत केंद्र ने इस इलेक्ट्रिक रेल लाइन बनाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा सरकार चारधाम रेल योजना में थोड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत गंगोत्री व यमुनोत्री को मोनोरेल, फ्यूनीकुलर व रोपवे से जोड़ने की तैयारी है। मकसद यह कि अधिक से अधिक पर्यटक इस ओर आकर्षित हो सकें।
प्रदेश में 16000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाली ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन बनने का कार्य तेजी से चल रही है। रेल मंत्रालय ने वर्ष 2020 तक इसका पहला स्टेशन तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के तहत रेलवे लाइन को 18 सुरंग व 18 पुलों से होकर गुजरना है। यह कई जगह नदी के साथ-साथ व जंगलों के बीच से होकर चलेगी। इसे देखते हुए रेलवे ने इस मार्ग पर शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रदेश में सतत विकास के क्रम में पर्यावरण का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।
चार धाम रेल परियोजना के बारे में उन्होंने कहा कि दो धाम तो ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से जुड़ जाएंगे। शेष दो धामों को जोड़ने के लिए चार धाम रेल परियोजना बनाई गई थी। 325 किमी लंबी इस पूरी परियोजना की लागत तकरीबन 44000 करोड़ रुपये आंकी गई है। अगर इसे एक सामान्य रेल यात्रा के रूप में देखें तो इसमें कुछ नयापन नहीं है। ऐसे में विदेशों की तर्ज पर इसे एक आकर्षक योजना बनाने की तैयारी है।
मोदी सरकार ने बढ़ाया राज्य में निवेश
गोयल ने इशारों इशारों में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर उत्तराखंड की उपेक्षा का आरोप भी लगाया। कहा कि राज्य में रेल सुविधाओं के विस्तार के लिए वर्ष 2009 से वर्ष 2014 तक हर साल महज 187 करोड़ रुपये दिए जाते थे। वर्ष 2014 से अब तक हर साल 577 करोड़ रुपये राज्य को दिए गए हैं।
केंद्रीय रेल एवं ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा- देवभूमि उत्तराखंड अब विकास भूमि बनने की ओर अग्रसर है। अटल जी ने उत्तराखंड के सृजन में अहम भूमिका निभाई थी। अब इस नौजवान उत्तराखंड को संवारने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बीड़ा उठाए हुए हैं। केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार के डबल इंजन से राज्य तेजी से विकास की दिशा में बढ़ रहा है। राज्य में निवेश को लेकर बना माहौल उत्साहित करने वाला है। इसका फल अवश्य मिलेगा।